बाबा नीम करौली पर क्यों चढ़ाया जाता हैं कंबल, जानें वजह
Nitin Sharma
बाबा नीम करौली के 20वीं सदी के महान संतों में से एक थे. उन्हें हनुमान जी का अवतार भी कहा जाता था.
बाबा नीम करौली के नाम और चमत्कार देश ही नहीं, विदेशों में भी विख्यात हैं.
उत्तराखंड के कैंची धाम में बाबा नीम करौली ने अपने जीवन के कई साल बिताएं थे. आज यहां उनका आश्रम कैंची धाम है.
कैंची धाम में देश दुनिया के बड़े बड़े बिजनेसमैन समेत दिग्गज लोग आते हैं, जहां बाबा के सामने सिर झुकाते ही मनोकामना पूर्ण हो जाती है.
कैंची धाम में बाबा को फल और पैसे नहीं, बल्कि कंबल चढ़ाये जाते हैं. यह परंपरा पिछले काफी समय से चली आ रही है, आइए जानते हैं कंबल क्यों चढ़ाये जाते हैं.
बाबा की ज्यादातर तस्वीरों में बाबा कंबल ओढ़े नजर आते हैं. उनके आश्रम में भी कंबलों का ढेर लगा रहता है. बाबा को कंबल चढ़ाने के पीछे की वजह भी इसी तरह के एक चमत्कार से जुड़ी है.
नीम करौली बाबा के ही भक्त रिचर्ड एलपर्ट ने किताब ‘मिरेकल ऑफ लव’ में बताया कि फतेहगढ़ में एक बुजुर्ग दंपति रहते थे. वह बाबा के परम भक्त थे. एक दिन अचानक बाबा उनके घर पहुंच गये.
दंपति ने क्षमता के अनुसार, बाबा को भोजन कराने से सोने तक इंतजाम किया. रात के लिए एक कंबल दिया, लेकिन बाबा इस कंबल को ओढ़कर रात भर कराहते रहे. ऐसी आवाजें आ रही थी, जैसे उन्हें कोई मार रहा हो.
अगले दिन सुबह उठते ही बाबा ने दंपति से कहा कि इस कंबल को बिना खोले गंगा में प्रवाहित कर दें. दंपति बाबा के कहने पर कंबल को प्रवाहित करने जा रहे थे. कंबल में इतना ज्यादा वजन था कि उसे उठना मुश्किल हो रहा था.
इसके कुछ दिन बाद ही दंपति का बेटा ब्रिटिश फौज से घर लौटा. उसने बताया कि सेना में लड़ाई के दौरान उसके सभी साथी मर गये. बस वह सकुशल बच गया.
बेटे की बात सुनते ही दंपति को याद आया कि इसी दिन उनके घर में बाबा नीम करौली आये थे, जिन्होंने बेटे पर बरसी सभी गोलियां अपने कंबल में ले ली. इसीलिए बाबा बुरी रात नहीं सोये और कराह रहे थे.
Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.