Jul 29, 2024, 01:57 PM IST

भगवान राम से पहले क्यों लक्ष्मण को लेनी पड़ी थी जल समाधि?

Abhay Sharma

लक्ष्मण भगवान राम को अपना सबकुछ मानते थे, उन्होंने अपना सारा जीवन श्री राम की सेवा में लगा दिया. वनवास के दौरान भी लक्ष्मण भगवान राम के साथ रहे. 

लेकिन, एक वक्त ऐसा आया जब भगवान राम ने लक्ष्मण को खुद से अलग कर लिया, जिसके बाद वियोग में लक्ष्मण ने जल समाधि ले ली. 

पौराणिक कथा के अनुसार, जब यमराज भगवान राम को इस बात की सूचना देने आए कि उनका समय पूर्ण हो चुका है और अब उन्हें बैकुंठ धाम पधारना होगा. 

तब यमराज ने बातचीत से पहले श्री राम से कहा कि मुझे आपसे एकांत में बात करनी है, वार्तालाप के दौरान कोई बीच में आया तो उसे आप मृत्युदंड की सजा देंगे.

ऐसे में भगवान राम ने लक्ष्मण को द्वारपाल के रूप में नियुक्त किया और कहा कि किसी भी परिस्थिति में वार्तालाप समाप्त होने तक किसी को अंदर न आने दें.  

लेकिन, इसी बीच ऋषि दुर्वासा वहां आ गए और लक्ष्मण से कहा कि भगवान राम से उन्हें मिलना है. ऐसे में लक्ष्मण ने ऋषि दुर्वासा को मिलने से मना कर दिया. 

इससे वह क्रोधित हो गए और लक्ष्मण से कहा अगर मुझे अंदर नहीं जाने दिया तो में अयोध्या नगरी को श्राप दे दूंगा, ऐसे में लक्ष्मण ने सोचा कि...

 पूरी अयोध्या को श्राप मिलने से अच्छा है कि मुझ मृत्युदंड की सजा मिल जाए..ऐसे में वह श्री राम के कक्ष में चले गए और राम जी को सारी बात बताई. 

तब यमराज ने कहा प्रभु आपने वचन दिया है, इसलिए आपको लक्ष्मण जी को मृत्युदंड देना ही पड़ेगा. ऐसे में भगवान राम बड़े असमंजस में पड़ गए. 

तब भगवान राम ने गुरु वशिष्ठ से पूछा कि मैं क्या करूं, इसपर गुरुदेव ने कहा कि आप लक्ष्मण का परित्याग कर दें, यह सजा लक्ष्मण के लिए मृत्युदंड के समान ही होगा. 

लक्ष्मण जी यह त्याग सहन नहीं कर पाए और अयोध्या की सरयू तट पर शेषनाग रूप लेकर जल समाधि ले ली और वहीं अंतर्ध्यान हो गए.  

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.