May 29, 2024, 03:17 PM IST

लव-कुश ने क्यों पकड़ लिया था अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा?

Abhay Sharma

लव-कुश भगवान श्रीराम व माता सीता के पुत्र थे और उनका जन्म महर्षि वाल्मीकि आश्रम में हुआ था. लव-कुश माता सीता के साथ आश्रम में रहते थे. 

उन्हें न तो माता सीता का असली नाम पता था, न ये कि भगवान श्री राम उनके पिता हैं. भगवान श्री राम को भी यह नहीं पता था कि लव-कुश उनके पुत्र हैं.   

लव-कुश को भले ही अपने माता-पिता के बारे में नहीं पता था. लेकिन, उन्हें इतना पता था कि वे क्षत्रिय कुल से आते हैं...

और क्षत्रियों का धर्म होता है, शत्रु की चुनौती को स्वीकार करना और धर्म, देश व समाज की रक्षा करना. श्रीराम के अश्वमेघ घोड़े पर चुनौती लिखी हुई थी. 

जिस पर लिखा था यह घोड़ा श्रीराम के अश्वमेघ यज्ञ का है और यह जहां-जहां से भी गुजरेगा वहां का राज्य श्रीराम के अधीन माना जाएगा....

इसलिए अगर किसी ने इस घोड़े को रोकने की चेष्टा की तो उसे श्रीराम की सेना से युद्ध करना होगा. लव और कुश को इस चुनौती में अहंकार की झलक दिखी.  

उन्हें लगा कि क्षत्रिय धर्म के अनुसार इस युद्ध की चुनौती को उन्हें स्वीकार करना चाहिए. ऐसे में उन्होंने श्रीराम की चुनौती को स्वीकार करते हुए यह घोड़ा पकड़ लिया. 

 महर्षि वाल्मीकि ने लव और कुश को दैवीय अस्त्र प्रदान किये थे जो बहुत शक्तिशाली व दिव्य थे. इसी के बल पर उन्होंने यह चुनौती स्वीकार कर ली थी. 

इसके अलावा लव-कुश के मन में यह रोष था कि सब सत्य जानते हुए भी भगवान राम ने अयोध्या की प्रजा के सामने झुककर अन्याय का साथ क्यों दिया व माता सीता को वन में क्यों भेज दिया. 

वे सीधा यह प्रश्न श्रीराम से पूछकर उनका उत्तर जानना चाहते थे. इसलिए उन्होंने भगवान राम के अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा पकड़ लिया. 

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.