Jul 20, 2024, 05:23 PM IST
महर्षि सांदीपनि वह ऋषि थे, जिनसे भगवान श्रीकृष्ण के साथ बलराम और सुदामा ने शिक्षा प्राप्त की थी. सांदीपनि ऋषि ने ही श्रीकृष्ण को 64 कलाओं की शिक्षा दी थी.
पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रीकृष्ण ने जब अपनी शिक्षा पूरी कर ली तो महर्षि संदिपनी ने कहा कि मेरे पास जितना भी ज्ञान था वो सभी मैं आपको दे चुका हूं.
तब श्रीकृष्ण महर्षि संदिपनी से पूछते हैं कि गुरुदेव मैं आपको गुरु दक्षिणा में क्या दूं? इसपर महर्षि कहते हैं आप तो खुद प्रभु है मैंने आपको कुछ नहीं दिया है.
लेकिन, श्रीकृष्ण इसपर जोर देते हैं तो महर्षि संदपिनी अपनी पत्नी के कहने पर अपने मृत पुत्र का जीवनदान गुरु दक्षिणा में मांग लेते हैं.
श्रीकृष्ण ने गुरु को पुत्र लोटाने का वचन दे दिया और समुद्र किनारे उनके पुत्र को मारने वाले पंचज जाति के दैत्य के पास पहुंचे.
दैत्य शंख के रूप में समुद्र में छिपा था, ऐसे में श्रीकृष्ण शंखासुर को मारकर उसके पेट में गुरु पुत्र को खोजा पर वह नहीं मिला.
इसके बाद श्रीकृष्ण शंखासुर के शरीर का शंख लेकर यमलोक पहुंच गए और यमराज से युद्ध कर गुरु पुत्र को वापस लाकर महर्षि सांदीपनि को लौटा दिया.
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