Mar 27, 2024, 06:56 PM IST

माता सीता को धरती में समाने से क्यों नहीं रोक पाए थे राम

Puneet Jain

जिसके चलते माता सीता को राज महल छोड़कर वनवास के लिए जाना पड़ा था. इस दौरान वह अपने पुत्र लव-कुश सहित वाल्मीकि आश्रम रहने लगी. 

एक दिन वाल्मीकि ऋषि ने लव-कुश को रामायण सुनाने के लिए श्री राम द्वारा आयोजित अश्वमेघ यज्ञ में भेजा.

पूरी रामायण सुनने के बाद राम ने सीता को सभा में आकर अपनी पवित्रता का प्रमाण देने के लिए संदेश भेजा.

सन्देश मिलते ही ऋषि वाल्मीकि माता सीता को लेकर दरबार पहुंचे. 

अपनी पवित्रता पेश करने के लिए सीता हाथ जोड़कर बोली- हे धरती मां, अगर मैं पवित्र हूं तो ये धरती फट जाए और मैं उसमें समा जाऊं.

कुछ समय बाद नागों के सिंहासन पर बैठी पृथ्वी देवी प्रकट होती हैं और माता सीता को अपनी गोद में बैठा कर धरती में समा जाती हैं.

क्योंकि राम विवश थे इसलिए वह सीता को रोक नहीं पाए और उनके जाने का अफसोस मनाते रहें. 

जिसके बाद यमराज की सहमति से उन्होंने सरयू नदी के गुप्तार घाट में जल समाधि ले ली.