Dec 30, 2023, 11:17 PM IST

क्या है रेसिंग कार के गोली की गति से दौड़ने का राज

Kuldeep Panwar

अमीर हो या गरीब, मारुति कार चलाने वाला हो या मर्सिडीज में चलने वाला, हर किसी के मन में एक ही ड्रीम होता है कि उसकी कार दुनिया में सबसे ज्यादा तेजी से दौड़ लगाए.

सामान्य कार चाहे 5 लाख रुपये की हो या 5 करोड़ रुपये की, जब उसकी तुलना रेसिंग कार से होती है तो स्पीड के मामले में वे फीकी ही नजर आती हैं. 

सामान्य कार जहां 100 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड पकड़ने के लिए 7 से 8 सेकेंड का समय लगता है, जबकि रेसिंग कार 1.5 से 1.8 सेकेंड में ही 100 किलोमीटर की स्पीड पकड़ लेती है.

रेसिंग कार के इस बुलेट स्पीड यानी गोली की गति से भी तेज दौड़ने का राज होता है उनके इंजन में, जो उन्हें सामान्य कारों से अलग बना देता है.

रेसिंग कारों में टर्बो जेट इंजन होता है, जो कुछ हद तक हवाई जहाजों के इंजन जैसा होता है. ये इंजन कार को 300-400 ही नहीं 800 से 1,000 किमी प्रति घंटा यानी फाइटर जेट विमान की स्पीड तक दौड़ा सकते हैं.

रेसिंग कार की स्पीड इतनी ज्यादा होती है कि उनसे दिल्ली से मुंबई के बीच की करीब 1,200 किलोमीटर की दूरी को महज 3 से 4 घंटे में पूरी कर सकते हैं.

इंजन के अलावा देखें तो सामान्य कार और रेसिंग कार में कोई खास अंतर नहीं होता. दोनों में ही गियरबॉक्स, सस्पेंशन, टायर, ब्रेक होता है, लेकिन इनके डिजाइन में बहुत अंतर होता है.

सामान्य कार में जहां H शेप का गियर बॉक्स होता है, जिसका हर स्टेप एक निश्चित गति से जुड़ा होता है. वहीं रेसिंग कार में सीक्वेंशियल गियर बॉक्स होता है, जिसमें तेजी से एक के बाद एक सारे गियर लगाए जा सकते हैं.

सामान्य कार का इंजन जहां लगातार बहुत तेज गति से बेहद कम समय के लिए ही चल सकता है, वहीं रेसिंग कार इंजन लंबे समय तक लगातार तेज गति से दौड़ सकते हैं.

सामान्य कार की बॉडी स्टेनलेस स्टील की होती है, जो भारी होती है. इसके उलट रेसिंग कार की बॉडी कार्बन फाइबर की होती है, जो बेहद हल्की होती है और स्पीड पकड़ने में मदद देती है.

फॉर्मूला-1 (F1 Racing)  में इस्तेमाल होने वाली कार तो और भी ज्यादा हल्की बनाई जाती है. इनके चेसिस तक कार्बन फाइबर के बना दिए जाते हैं ताकि कार का वजन हल्का रहे. 

सामान्य कार को गुड लुक के लिए डिजाइन किया जाता है, जबकि रेसिंग कार का डिजाइन उसे बेहद तेज गति से दौड़ाने में सपोर्ट करता है. इनका डिजाइन एयरोडायनामिक्स पर आधारित होता है.