May 7, 2024, 07:00 PM IST

आज भी इज्जत से लिया जाता है इन 6 हिन्दुस्तानी तवायफों का नाम, फिल्मों से है खास कनेक्शन

Utkarsha Srivastava

जैसा कि संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज 'हीरामंडी: द डायमंड बाजार' में दिखाया गया है, एक जमाने में तवायफों को तहजीब की पाठशाला माना जाता था. भारत की आजादी की लड़ाई में उन्हें रोकने के लिए अंग्रेजों ने उन पर  वैश्या और नाचने वालियों की तोहमत थोपी थी.

भारत में भी 5 असली तवायफें मशहूर हुई हैं, जिनका नाम आज भी इज्जत के साथ लिया जाता है. इनमें से कुछ तवायफों का फिल्मी दुनिया से खास कनेक्शन रहा है. कुछ पर फिल्में भी बन चुकी हैं.

बनारस से लेकर कलकत्ते तक मशहूर रहीं तवायफ गौहर जान को उनकी आवाज की वजह से बहुत इज्जत मिली थी. डिस्क पर रिकॉर्ड किया गया पहला भारतीय गीत गौहर जान की आवाज में ही था. (AI Photo)

'अवध की बेगम' के नाम से मशहूर बेगम हजरत महल ने महारानी बनकर इज्जत पाई थी. अवध के नवाब वाजिद अली शाह ने उनसे शादी कर ली थी. (AI Photo)

'जद्दनबाई' ऐसी तवायफ थीं, जिनकी आवाज सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे. वो फिल्मी दुनिया की मशहूर संगीतकार रह चुकी हैं. 'जद्दनबाई' बॉलीवुड की दिग्गज एक्ट्रेस नरगिस दत्त की मां थीं. (AI Photo)

तवायफ जोहराबाई भारतीय शास्त्रीय संगीत की दिग्गज मानी जाती हैं. उन्होंने संगीत की तालीम उस्ताद शेर खान से ली थी. (AI Photo)

तवायफ रसूलनबाई बनारस के घराने की मशहूर फनकार बनीं और देश भर में उनकी आवाज गूंजी. रसूलनबाई का नाम आज भी इज्जत के साथ लिया जाता है. (AI Photo)

लखनऊ और कानपुर में रहने वाली तवायफ अजीजुनबाई ने 1857 में भारत की आजादी की पहली लड़ाई में योगदान दिया था. वो मर्दों के कपड़े पहनकर क्रूर अंग्रेजों से लड़ी थीं. (AI Photo)