Mar 8, 2024, 08:40 AM IST

8 महिलाएं जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों याद दिलाया था छठी का दूध

Abhishek Shukla

आजादी की लड़ाई में भारत की वीरांगना महिलाओं ने अपनी जान गंवाई थी.

उन्होंने अपने वतन को आजाद कराने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया.

वे शहीद हो गईं लेकिन अंग्रेजों के आगे झुकीं नहीं.

रानी लक्ष्मी बाई ने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे. 18 जून 1858 को उन्होंने अंग्रेजों से लड़ते हुए जान गंवा दी लेकिन झांसी को जीते-जीते गुलाम नहीं होने दिया.

वीरांगना झलकारी देवी ने झांसी की रानी के लिए आत्म बलिदान दिया था. वे अंग्रेजी तोप के सामने खड़ी हो गई थीं.

अवध की बेगम हजरत महल ने 1857 के पहले स्वाधीनता संग्राम में अंग्रेजों को छठी का दूध याद दिला दिया था.

लक्ष्मी सहगल आजाद हिंद फौजी की अधिकारी थीं, उन्होंने भी अंग्रेजों से लोहा लिया था.

सरोजिनी नायडू शांतिपूर्ण ढंग से अंग्रेजों की नाक में दम करती रहीं. वे सत्याग्रह की राह पर चलकर अंग्रेजों का विरोध आजीवन करती रहीं.

सुचेता कृपलानी भारत छोड़ो आंदोलन का हिस्सा रहीं. उन्होंने भी भारत में अंग्रेजों की डगर मुश्किल कर दी थी.

कित्तूर की रानी चेनम्मा ने अंग्रेजों के खिलाफ मरते दम तक लोहा लिया.

दुर्गाभाभी नाम से मशहूर दुर्गा देवी बोहरा ने भगत सिंह को लाहौर जिले से छुड़ाने के लिए अंग्रेजों से लोहा लिया था.