Dec 7, 2023, 11:02 PM IST

महिला नागा साधु से जुड़ी 5 बातें जानकर हिल जाएंगे आप

Kuldeep Panwar

आपने पुरुष नागा साधुओं की तरह महिला नागा साधुओं को भी देखा होगा, लेकिन क्या आप इनके बारे में सबकुछ जानते हैं?

महिला नागा साधु और पुरुष नागा साधु में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होता है. दोनों के नागा साधु बनने के नियम एक जैसे ही हैं. दोनों को एक जैसी ही कठिन साधना से गुजरना पड़ता है. तब ही गुरु दीक्षा देकर इन्हें नागा साधुओं में शामिल करते हैं.

महिला नागा साधु बनने के लिए कुछ खास चरणों से गुजरना होता है जिनके बारे में जानकर आपका दिमाग हिल जाएगा. ऐसी ही 5 रहस्यमय बातों के बारे में चलिए हम आपको बताते हैं.

महिला नागा साधु बनने को 12 साल तक लगातार पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है. पहले उन्हें मुंडन कराकर भौतिक सुख-सुविधाओं का त्याग कर खुद का पिंडदान और तर्पण करना पड़ता है. ये खुद को संसार के लिए मृत बनाने के लिए होता है.

महिला नागा साधु बनने के लिए गुरु को दुनिया के मोह-माया से दूर होने का विश्वास दिलाना पड़ता है. मौसम चाहे सर्दी का हो या गर्मी का, इन्हें सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पूरा दिन शिवजी का घोर जप करना होता है.

पुरुष नागा साधु और महिला नागा साधु के लिए सभी नियम एकसमान होते हैं. केवल महिला नागा साधु नग्न नहीं रहती हैं. उन्हें एक कपड़ा लपेटने की इजाजत होती है. यह कपड़ा पीला, भगवा या सफेद रंग का होता है और सिला हुआ नहीं होता है.

महिला नागा साधु को अपना जीवन यापन करने के लिए केवल भिक्षा में मिले भोजन को ही खाने की इजाजत होती है. ये भी पुरुष नागा साधु की तरह अघोरी होती हैं और श्मशान में तंत्र क्रिया के बाद इंसानी मांस से भोग लगाती हैं.

महिला नागा साधु केवल दशनामी संन्यासिनी अखाड़े में ही बनाई जाती हैं, क्योंकि अन्य किसी भी अखाड़े में महिला नागा साधु बनाने की परंपरा नहीं हैं. इन्हें हिंदू धर्म में बेहद सम्मान मिलता है और माता कहकर ही पुकारा जाता है.

महिला नागा साधु आम जनजीवन से बहुत दूर घने जंगलों, पहाड़ों, गुफाओं में ही रहती हैं. वे कुंभ-महाकुंभ या अन्य बेहद विशेष अवसर पर ही सबके सामने आती हैं. बाकी समय उन्हें भौतिक सुख-सुविधा से दूर साधना में ही लीन रहना होता है.

DISCLAIMER: यह पूरी जानकारी सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं व आस्थाओं पर आधारित है. इसकी सत्यता की पुष्टि Dnaindia Hindi नहीं करता है.