Dec 23, 2023, 04:04 PM IST

मुगल हरम में कितनी थी दासियों की कमाई

Kuldeep Panwar

मुगल शासकों के राजकाज को लेकर जितनी दिलचस्पी लोगों में रहती है, उतनी ही उनके हरम के बारे में जानने को लेकर भी रहती है.

हर मुगल शासक ने अपने लिए एक बड़ा हरम बना रखा था, जहां दूसरे राजाओं से जीती गईं महिलाओं को वे अपनी बेगम या रखैल बनाकर रखते थे.

हर मुगल बादशाह के हरम में हजारों महिलाएं होती थीं, जिन पर केवल बादशाह का हक होता था. इतिहासकार अबुल फजल के मुताबिक, बादशाह अकबर के हरम में 5,000 महिलाएं थीं.

मुगल बादशाह अपनी इन बेगमों और रखैलों की देखरेख के लिए हरम के अंदर हजारों की संख्या में दासियां भी रखते थे, जिन्हें बाकायदा वेतन दिया जाता था.

बादशाह अकबर के दरबार के जो रिकॉर्ड मौजूद हैं, उनके हिसाब से उसके हरम में दासियों के ओहदे तय थे और उन्हें ओहदे यानी पद के हिसाब से ही वेतन दिया जाता था.

इस रिकॉर्ड के हिसाब से बादशाह अकबर हरम की सबसे बड़ी ओहदेदार को 1028 से 1610 रुपये हर महीने वेतन के तौर पर देते थे, जो आज के समय में लाखों रुपये की रकम बैठती है.

हरम में काम करने वाली छोटे पद की कर्मचारियों को भी 51 रुपये, 40 रुपये आदि वेतन के तौर पर मिलते थे. यह रकम भी मौजूदा समय के हिसाब से दो से ढाई लाख रुपये बैठती है.

करीब 450 साल पहले अकबर के नवरत्नों में शामिल अबुल फजल ने लिखा है कि 10 रुपये में एक तोला यानी 11.66 ग्राम सोना खरीद सकते हैं.

इस हिसाब से उस समय 858 रुपये में करीब एक किलोग्राम सोना खरीदा जा सकता था यानी हरम की सबसे बड़ी ओहदेदार अपने वेतन से करीब पौने दो किलो सोना खरीद सकती थी. 

बड़ी ओहदेदार के नीचे काम करने वाली छोटी ओहदेदार को दारोगा कहते थे, जिसका वेतन 1,028 रुपये होता था. वह भी करीब सवा किलो सोना खरीद सकती थी.

हरम में रहने वाली बेगमों या रखैलों को कोई बंधी हुई रकम नहीं मिलती थीं, क्योंकि उनका पूरा खर्च बादशाह के खजाने से उठाया जाता था. ऐसे में हरम की दासियां इन बेगमों-रखैलों से भी ज्यादा अमीर होती थीं.

हरम में दासियों को बहुत सारे अधिकार भी मिले हुए थे. ये बादशाह के अलावा हरम में किसी भी दूसरे शख्स को प्रवेश करने से रोक सकती थीं.