Oct 6, 2023, 03:31 PM IST
नागा साधु शिव और अग्नि के भक्त माने जाते हैं. सामान्य तौर पर इनका सामान्य जनजीवन से कोई लेना-देना नहीं होता है.
नागा साधु बनने से पहले एक साधारण व्यक्ति को कई प्रकार के परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है और उन्हें कुछ विशेष नियमों का पालन करना पड़ता है.
कुंभ मेले के शाही स्नान में आपने नागा साधुओं की टोली को अपने जरूर देखा होगा. माघ मेले में आपको न जाने कितने नागा साधु दिखाई देते हैं.
आपके मन में कई बार यह सवाल आता होगा कि नागा साधु केवल माघ मेले में ही दिखाई देते हैं, उसके बाद यह कहां गायब हो जाते हैं. चलिए हम आपको इस सवाल का जवाब देते हैं.
कहा जाता है कि नागा संन्यासी हिमालय और अन्य पहाड़ों और निर्जन जंगलों की गुफाओं में बैठकर तपस्या में लीन हो जाते हैं.
ये आमतौर पर एक गुफा में कुछ साल रहते है और फिर दूसरी गुफा में चले जाते हैं. किसी को मालूम नहीं होता कि वो इन दिनों कहां और क्या कर रहे होंगे. ये लोग किसी गांव या शहर में नहीं जाते बल्कि जंगल और वीरान रास्तों में डेरा डालते हैं. नागा साधु केवल जमीन पर ही सोते हैं.
जब कभी कुंभ और अर्धकुंभ जैसे महापर्व होते हैं तो ये नागा साधु कोतवाल की सूचना पर वहां रहस्यमय तरीके से पहुंच जाते हैं. नागा संप्रदाय में गुरू और अखाड़ा होता है. इससे जुड़ने पर व्यक्ति को सबसे पहले अपने परिवार का त्याग करना पड़ता है.