Apr 29, 2024, 07:51 PM IST

सोग रांझे के हैं न हीर के हैं, दर्द मीरा का लफ़्ज़ 'मीर' के हैं , पढ़ें अनंत गुप्ता की शायरियां

Puneet Jain

जहां शायरी की बात आती है, तो सबके मन में सबसे पहला नाम गुलजार और मिर्जा गालिब का आता है.

पर आज के दौर में भी दुनिया में कई ऐसे कवि हैं, जिन्होंने अपने अनोखे अंदाज से लाखों-करोड़ो का दिल जीत लिया है.

इन्हीं में से एक राजस्थान के जयपुर में जन्में अनंत गुप्ता भीहैं. अपनी शायरियों से इन्होंने कई लोगों के दिलों में राज किया हुआ है.

आज हम आपको बताएंगे कि दुनिया में असीम मोहब्बत को लेकर अनंत ने क्या कुछ लिखा है.

दिखावा कर  दिखावा ही करना है तो फिर बड़ा कर  तू शाइ'र नहीं ख़ुद को आशिक़ कहा कर 

फिरते हैं हम  साथ नाकामी लिए फिरते हैं हम  आप को या'नी लिए फिरते हैं हम  

इक जिस्म से जवानी  इक जिस्म से जवानी ऐसे बिछड़ रही है  जैसे दुल्हन की मेहंदी बिस्तर पे झड़ रही है 

बदन की क्या ज़रूरत  बदन की क्या ज़रूरत हिज्र में तो याद ज़िन्दाबाद तबाही इश्क़ में आशिक़ की ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद

"सुनो शादी मुबारक हो" सुनो शादी मुबारक हो दुल्हन तो बन चुकी हो अब बता भी दो कि सुनने को वो ख़ुश-ख़बरी मैं आऊँ अब