Oct 26, 2024, 01:46 AM IST

स्वामी रामभद्राचार्य ने मुस्लिम जज से मनवा दी थी राम की मौजूदगी

Kuldeep Panwar

जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य एक बार फिर चर्चा में हैं. यह चर्चा उनके द्वारा बाल संत अभिनव अरोड़ा को मंच से नीचे उतार देने पर हो रही है.

स्वामी रामभद्राचार्य वहीं हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में वेद-पुराणों के पुख्ता उदाहरण से भगवान राम के अयोध्या में जन्म लेने की बात साबित की थी.

आंखों से नहीं देख पाने के बावजूद स्वामी रामभद्राचार्य के वेदों के इस सटीक ज्ञान से सुप्रीम कोर्ट के मुस्लिम जज भी उनके कायल हो गए थे.

दरअसल अयोध्या में राम मंदिर बनाने की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के मुस्लिम जज ने पूछा था कि प्रभु राम के जन्म का प्रमाण किसी वेद में है क्या?

इस पर स्वामी रामभद्राचार्य ने उन्हें बताया था कि अथर्ववेद के दशम कांड के 31वें अनु वाक्य के द्वितीय मंत्र में इसका जिक्र स्पष्ट रूप से है.

द्वितीय मंत्र में कहा गया है कि देवताओं की पुरी 8 चक्रों व 9 प्रमुख द्वार वाली श्री अयोध्या के मंदिर महल में परमात्मा खुद स्वर्ग लोक से आए.

उन्होंने ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता के हवाले से यह भी बताया था कि सरयू नदी से किस दिशा में कितनी दूरी पर प्रभु का जन्मस्थान है. 

उन्होंने कहा था कि प्रभु राम के जन्मस्थान से 300 धनुष की दूरी पर सरयू नदी बहती है. कोर्ट ने जैमिनीय संहिता मंगाकर देखी तो तथ्य सही पाए थे.

स्वामी रामभद्राचार्य ने बताया कि वाल्मिकी रामायण के बालकांड के सर्ग-18 के एक श्लोक में भगवान राम के जन्मस्थान का जिक्र हुआ है.

उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास के 'श्री तुलसीशतक' के उन दोहों का भी जिक्र किया, जिनमें राम मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का जिक्र है.

स्वामी रामभद्राचार्य ने स्कंद पुराण, यजुर्वेद और रामतपनीयोपनिषद के भी श्लोकों का उदाहरण अदालत के सामने पेश किया.

स्वामी रामभद्राचार्य ने राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में गवाही दी थी और 441 सबूत दिए थे. इनमें से 437 सबूत सही पाए गए थे.

स्वामी रामभद्राचार्य द्वारा दिए उदाहरणों से मुस्लिम जज भी चकित रह गए और उन्होंने भी राम की मौजूदगी के दावे को सही घोषित किया था.

रामभद्राचार्य जी महाराज की आंखों की रोशनी ट्रेकोम के संक्रमण के कारण तब चली गई थी, जब वे केवल 2 माह के थे. वे देख नहीं सकते.

चार मौजूदा जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक रामभद्राचार्य जी सुनकर सीखने के बावजूद 22 भाषाओं के ज्ञाता हैं और 80 ग्रंथ रच चुके हैं.