May 23, 2024, 09:54 PM IST

यूपी की वो तवायफ जिसनें Delhi आकर मुग़ल बादशाह को दी संजीवनी

Aditya Katariya

हाल ही में वेब सीरीज 'हीरामंडी' रिलीज होने के बाद से पूरे देश में तवायफें चर्चा में हैं.

आज हम आपको यहां एक ऐसी तवायफ के बारे में बताएंगे जो न सिर्फ अपनी खूबसूरती बल्कि दिलेरी के लिए भी काफी मशहूर थी. 

ये तवायफ और कोई नहीं बल्कि बेगम समरू थी. इनका असली नाम फरजाना जैबुन्निसा था.

बेगम समरू का जन्म 1753 में मेरठ में हुआ था.

चावड़ी बाजार के एक कोठे पर उसकी मुलाकात वाल्टर राइनहार्ट से हुई थी, जो कि एक किराए का सैनिक था. वह फरजना की सुंदरता पर देखते ही फिदा हो गया था. 

दोनोंं में प्यार होने के बाद फरजना ने राइनहार्ट से शादी कर ली. शादी के बाद वो बेगम समरू के नाम से मशहूर हुई. 

1778 में वॉल्टर राइनहार्ट की मौत के बाद शाह आलम द्वितीय ने बेगम समरू को सरधना की जागीर सौंप दी. 

बेगम समरू खूसबूरती के अलावा अपनी दिलेरी के लिए भी काफी मशहूर थी.

जब 1787 में गुलाम कादिर ने बादशाह शाह आलम के खिलाफ दिल्ली पर हमला कर दिया था. तब बेगम समरू ने शाह आलम की मदद की थी. 

बेगम समरू की फौज ने गुलाम कादिर की फौज को बुरी तरह पराजित किया और बाद में गुलाम कादिर ने उनसे हार मान ली थी. 

अपने जीवन के आखिरी दिनों में बेगम समरू ने ईसाई धर्म अपना लिया था और नाम जोहना नोबिलिस सोम्ब्रे रख लिया था