Jul 18, 2023, 06:05 PM IST

Kavita Mishra

मुरादाबाद जिले में एक छोटे से गांव में पैदा हुई इल्मा अफरोज का जीवन संघर्ष भरा रहा. 

जब वह 14 साल की थीं तो उनके पिता की मौत हो गई थी.उनकी मां ने अपने पैरों पर खड़े होकर इल्मा की जिम्मेदारी संभाली. 

इल्मा की मां खेती करती थीं और उन्हीं पैसों से परिवार का पालन करती थीं. इल्मा भी मां के साथ काम में हाथ बटाने लगीं. 

उन्होंने अपनी मां के साथ दूसरों के घरों में बर्तन तक धुले लेकिन कभी हार नहीं मानी. तमाम दिक्कतों के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी. 

इल्मा अफ़रोज़ को शुरू से ही पढाई मे रूचि थी इसलिए उन्हें आगे पढ़ने के लिए ऑक्सफ़ोर्ड, न्यूयॉर्क जैसे बड़े विश्वविद्याल में पढ़ने का मौका मिला. 

विदेश में कुछ करने के बजाय इल्मा भारत वापस आ गई. उन्होंने देश की सेवा करने के लिए सिविल सर्विस में जाने का फैसला लिया. 

इल्मा ने UPSC जैसी कठिन एग्जाम के लिए खूब मेहनत की. इल्मा ने साल 2017 में 217वीं रैंक के साथ 26 साल की उम्र में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली. 

जब सर्विस चुनने की बारी आई तो उन्होंने आईपीएस चुना और उन्हें हिमाचल प्रदेश कैडर में आईपीएस नियुक्त किया गया.