Feb 10, 2024, 12:24 PM IST

कौन है दिल्ली के लाल किले का मालिक?

Kuldeep Panwar

दिल्ली की बात आए तो सबसे पहले दिमाग में लाल किला आता है. मुगल सल्तनत के दौर में भारत की सत्ता इसी किले से चलाई जाती थी. इसे देखने दुनिया भर से टूरिस्ट आते हैं.

लाल किले का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली लाने के लिए कराया था. 12 मई 1639 को बनना शुरू हुआ यह किला 1648 में पूरा हुआ था.

यमुना नदी के किनारे पर 75 फीट ऊंची दीवारों से घिरा और 250 एकड़ में फैला लाल किला साल 2007 में Unesco World Heritage Site घोषित किया गया था.

1857 के स्वतंत्रता संग्राम की विफलता के बाद आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को रंगून भेजकर अंग्रेजों ने लाल किले में अपनी सैनिक छावनी बना ली थी.

1947 में भारत की आजादी तक यह किला अंग्रेजों के ही कब्जे में रहा. अब आजादी के बाद इस किले का मालिक कौन है? यदि आप ये नहीं जानते तो चलिए हम बताते हैं.

खुद को मुगल वंशज बताने वाले प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुसी इस समय हैदराबाद में रहते हैं. प्रिंस तुसी खुद को बहादुरशाह जफर की छठी पीढ़ी बताते हैं.

हैदराबाद की कोर्ट ने प्रिंस तुसी का डीएनए टेस्ट कराने के बाद उनके मुगल वंशज होने के दावे को सही माना था और उन्हें खुद को मुगल प्रिंस लिखने का हक दिया था.

प्रिंस तुसी ने कुछ साल पहले आगरा के ताजमहल और दिल्ली के लालकिले को मुगल संपत्ति बताकर उस पर मालिकाना हक का मुकदमा किया था.

सऊदी अरब में अपने तेल के कुएं बताने वाले प्रिंस तुसी मुगल सल्तनत की बाकी संपत्तियों पर भी अपना मालिकाना हक जता रहे हैं.

शाही अंदाज में मुगल शासकों जैसी ही पोशाक पहनकर सिक्योरिटी के साथ घूमने वाले प्रिंस तुसी के दावे पर अब भी मुकदमा लंबित है. ऐसे में वे फिलहाल लाल किले के मालिक नहीं हैं.

यदि लाल किले के मालिकाना हक की बात की जाए तो यह इस समय भारत सरकार के पास है, जिसने लाल किले के अंदर अंग्रेजों की तर्ज पर ही एक हिस्से में आर्मी कैंटोनमेंट बना रखा है.