Dec 8, 2023, 03:26 PM IST

इस पाकिस्तानी हिंदू लड़की की दीवानी हो रही पूरी दुनिया

Kuldeep Panwar

पाकिस्तान में हिंदुओं की हालत बहुत अच्छी नहीं है. खासतौर पर लड़कियों का अपहरण कर उनका जबरन धर्मांतरण करने और निकाह कर लेने के केस लगभग हर रोज सामने आते हैं.

अब एक पाकिस्तानी हिंदू लड़की की चर्चा इस समय पूरी दुनिया में हो रही है. तुलसी मेघवार नाम की यह लड़की सिंध प्रांत में सिंधु नदी के किनारे बसे कस्बे जमशोरो के साधु पारो कोटरी इलाके की रहने वाली हैं.

तुलसी दरअसल इसलिए चर्चा में आ गई हैं, क्योंकि वे पाकिस्तान की नेशनल सॉफ्टबॉल टीम में सलेक्ट हुई हैं और ऐसा करने वाली वे पहली पाकिस्तानी हिंदू लड़की बन गई हैं.

Dawn अखबार के मुताबिक, 21 साल की तुलसी ने पहली बार साल 2016 में कक्षा-7 में स्कूल में हुए ट्रायल में सॉफ्टबॉल खेला था. उनका टेलेंट कोच को ऐसा भाया कि वे अब तक 6 बार नेशनल गेम खेल चुकी हैं.

कोटरी गर्ल्स कॉलेज से Pre-Engineering में इंटरमीडिएट करने वाली तुलसी के मुताबिक, उनके साथ की सब लड़कियों की शादी हो चुकी है और अब वे घर पर बैठी हैं, जबकि वह अपने देश का नाम रोशन करने निकली हैं.

हालांकि तुलसी के लिए यहां तक का सफर आसान नहीं रहा है. उनके पिता हरजी लाल ने जब बेटी को स्कूल में पढ़ाने का निर्णय लिया तो पूरा मेघवार समुदाय इसके खिलाफ हो गया था. इसके बाद खेल में उतरने की इजाजत देने पर और विरोध हुआ.

तुलसी के पिता कहते हैं कि हमारे समुदाय में बेटियों को स्कूल भेजने पर प्रतिबंध है. लेकिन आज मुझे गर्व है मेरी बेटी ना केवल पढ़-लिख सकती है, बल्कि खेलों में भी वह नाम कमा रही है. 

हरजी लाल तुलसी के हर मैच में साइडलाइन पर खड़े होकर उसका उत्साह बढ़ाते हैं. गरीबी के बावजूद वे पूरे पाकिस्तान में उसकी टीम के साथ सफर करते हैं.

तुलसी साल 2019 में ही पाकिस्तान के लिए खेलने वाली पहली हिंदू लड़की बनने का इतिहास रच देती. उसका सलेक्शन चीन जाने वाली नेशनल सॉफ्टबॉल टीम में हो गया था, लेकिन चीन में Covid-19 फैलने पर आयोजन रद्द हो गया.

हैदराबाद (पाकिस्तान) में तुलसी की कोच आयशा इरम का मानना है कि सिंध प्रांत में तुलसी अब एक रोल मॉडल है, जो दूसरी लड़कियों के लिए आगे बढ़ने के लिए आशा की किरण बन रही हैं.

आयशा के मुताबिक, सिंध में लड़की का खेलों में आगे बढ़ना कितना कठिन है, इसका अंदाजा ऐसे लगा सकते हैं कि तुलसी के स्कूल की 8 लड़कियां टीमों में चुनी गईं, लेकिन उनके परिवारों ने खेल को बीच में ही बंद करा दिया.