Feb 1, 2024, 12:08 AM IST

कौन बना था एक दिन के लिए मुगल बादशाह

Kuldeep Panwar

भारतीय इतिहास की सबसे ताकतवर मुगल सल्तनत बीच में ही खत्म हो गई होती, यदि एक मामूली आदमी ने मुगल बादशाह हुमायूं की जान नहीं बचाई होती.

यदि आप यह किस्सा नहीं जानते हैं तो चलिए हम आपको मुगल बादशाह हुमायूं से जुड़ी इस घटना के बारे में बताते हैं, जिसका भारतीय इतिहास पर गहरा असर माना जाता है.

मुगल सल्तनत के पहले बादशाह बाबर के बाद उनका बेटा हुमायूं दिल्ली की गद्दी पर बैठा,लेकिन उसे 1539 में शेरशाह सूरी के साथ चौसा में युद्ध लड़ना पड़ा.

चौसा के युद्ध में मुगल सेना को शेरशाह सूरी की सेना ने बुरी तरह हरा दिया. हुमायूं को अपनी जान बचाकर युद्ध के मैदान से भागना पड़ा.

शेरशाह की सेना हुमायूं का पीछा करती रहीं. ऐसे में जान बचाने के लिए हुमायूं को गंगा नदी की तेज धार में कूदना पड़ा, लेकिन वह डूब गया. उस समय हुमायूं की जान भिश्ती निजामुद्दीन ने बचाई.

हुमायूं को हराकर शेरशाह दिल्ली की गद्दी पर बैठ गया, जबकि हुमायूं जान बचाने के लिए ईरान चला गया. 1555 में शेरशाह की कालिंजर के युद्ध के दौरान विस्फोट में मौत हो गई.

शेरशाह की मौत के बाद वापस लौटे हुमायूं ने फिर से दिल्ली की सल्तनत जीत ली और गद्दी पर बैठ गया. लेकिन हुमायूं कभी भी भिश्ती निजामुद्दीन के अहसान को नहीं भुला सका.

हुमायूं ने भिश्ती निजामुद्दीन को अपनी सेना भेजकर सम्मान के साथ दिल्ली बुलाया. इसके बाद हुमायूं ने अहसान उतारने के लिए निजामुद्दीन को एक दिन का मुगल बादशाह घोषित कर दिया.

निजामुद्दीन ने एक दिन तक मुगल सल्तनत की गद्दी पर बैठकर फैसले किए, जिनमें सबसे अहम फैसला चमड़े के सिक्के चलाने का माना जाता है.