कर्ण, महाभारत के श्रेष्ठ योद्धाओं में से एक था, एक शाप की वजह से वह मारा गया.
परशुराम ने शपथ ली थी कि वे केवल ब्राह्मणों को ही धनुर्विद्या की शिक्षा देंगे. इस शपथ की वजह भीष्म पितामह थे.
भीष्म को भी परशुराम ने धनुर्विद्या सिखाई थी, उन्होंने अपने गुरु परशुराम की अवहेलना की थी, जिसके बाद परशुराम ने क्षत्रियों को न सिखाने का संकल्प लिया.
कर्ण ने कहा कि वह ब्राह्मण है. परशुराम उसे सिखाने लगे. वह परशुराम का प्रिय शिष्य बन गया.
परशुराम कर्ण की गोद में सो रहे थे तभी एक कीड़ा कर्ण को काटने लगा. कर्ण का खून बहा लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ कि गुरु की नींद न टूटे.
खून जब परशुराम के शरीर तक पहुंचा तो उनकी नींद खुल गई. उन्होंने कहा कि ऐसा धैर्य केवल क्षत्रिय में हो सकता है. तुम ब्राह्मण नहीं हो.
कर्ण ने अपनी सच्चाई बता दी. परशुराम ने क्रोधित होकर शाप दिया कि तुमने जो सीखा है, जब उसकी जरूरत होगी तब उसे भूल जाओ. मेरे मंत्रों को तुम भूलोगे और इसी वजह से तुम्हारी मृत्यु होगी.
महाभारत युद्ध में एक दिन कर्ण के रथ का पहिया जमीन में धंसा. अर्जुन ने दिव्यास्त्र निकालकर कर्ण पर प्रहार कर दिया. कर्ण उसे निष्फल कर सकता था लेकिन शाप की वजह से नहीं कर सका.
अंतिम वक्त में कर्ण अपनी विद्या भूल गया और उसकी मौत हो गई.
कर्ण के गुरु परशुराम थे, उन्होंने अनजाने में ही कर्ण को शस्त्र का ज्ञान दे दिया था.
जब परशुराम को कर्ण की सच्चाई पता चली तो उन्होंने ऐसा शाप दिया जो उनके मौत की वजह बनी.