Oct 7, 2024, 01:57 AM IST

भारतीय पुलिस की वर्दी में कंधे पर डोरी क्यों लगाते हैं?

Kuldeep Panwar

पूरे देश में आप कहीं पर भी जाएं. पुलिस की एक जैसी ही खाकी वर्दी वाली ड्रेस दिखाई देगी. हालांकि कुछ जगह ड्रेस अलग भी है.

पुलिस ड्रेस चाहे किसी रंग की हो. लेकिन उसे पहनने के कुछ नियम होते हैं, जो संबंधित राज्य सरकार बनाती है. उन्हें फॉलो करना पड़ता है.

पुलिस की ड्रेस भले ही किसी राज्य में खाकी के अलावा दूसरे रंग की भी मिल जाए, लेकिन पुलिस ड्रेस में एक चीज सब जगह कॉमन है.

पुलिस ड्रेस की यह कॉमन चीज हर सिपाही से लेकर आला अफसर तक के कंधे की पट्टी में लटकने वाली छोटी सी रस्सी होती है.

क्या आप जानते हैं कि पुलिस ड्रेस में कंधे पर यह छोटी सी रस्सी क्यों लटकाई जाती है या इसे लटकाने की परंपरा किस तरह शुरू हुई है?

IPS अफसर से लेकर सिपाही तक के कंधे पर टंगी यह रस्सी फैशन सिंबल नहीं बल्कि एक खास अहमियत के चलते लगाई जाती है.

पुलिस ड्रेस में कंधे पर टंगी रस्सी को लैनयार्ड कहा जाता है. कंधे पर लगी रस्सी घूमकर वर्दी की शर्ट की जेब के अंदर जाकर खत्म होती है.

दरअसल यह परंपरा ब्रिटिश कालीन व्यवस्था से जुड़ी हुई है, जो बाद में भारतीय पुलिस व्यवस्था में भी कायम रही थी और अब भी चल रही है.

पुलिस ड्रेस के कंधे की इस लैनयार्ड में एक सीटी बंधी होती है, जो हर पुलिस अफसर की सीने वाली जेब के अंदर रखी रहती है.

यह सीटी इमरजेंसी सिचुएशन में भीड़ की अटेंशन पाने या आसपास मौजूद पुलिसकर्मियों से मदद मांगने के लिए इस्तेमाल की जाती है.

पहले जब कोई चोर-उचक्का पुलिस को देखकर भागता था तो सिपाही सीटी बजाकर ही दूर-दूर तक मौजूद पुलिसकर्मियों को अलर्ट कर देता था.

इसके अलावा कहीं ट्रैफिक या भीड़ को कंट्रोल करना हो तो भी यह सीटी भीड़ का अटेंशन अपनी तरफ करने के काम में बखूबी आती है.

पुलिस ड्रेस में लैनयार्ड से यह सीटी इस कारण बांधी जाती है कि कोई भी पुलिसकर्मी किसी भी हालत में इसे अपने साथ रखना ना भूल जाए.