May 24, 2024, 01:46 PM IST

वो हिंदू जिसने लिखा पाकिस्तान का राष्ट्रगान

Aditya Prakash

वो 7 अगस्त 1947 का दिन था, पाकिस्तान का बनना तय हो चुका था. 

उस दिन मोहम्मद अली जिन्ना नई दिल्ली से कराची पहुंचे थे, उन्हे ख्याल आया कि एक नए मुल्क के लिए एक कौमी तराना यानी राष्ट्रगान का होना भी बेहद जरूरी है.

उनके सामने कई नाम और कई सैंपल आए लेकिन जिन्ना को ये सभी कुछ खास पसंद नहीं आ रहे थे.

फिर जिन्ना के दिमाग में पंडित जगन्नाथ आजाद का नाम आया, जो लाहौर के मशहूर उर्दू शायर थे.

जिन्ना ने उन्हें खत लिखकर कौमी तराना लिखने की गुजारिश की.

जिन्ना की इस गुजारिश को जगन्नाथ आजाद ने तहे दिल से स्वीकार किया, और महज चंद दिनों में ही एक तराना 'ऐ सर जमीन-ए-पाक' लिखकर उन्हें भेजा.

जिन्ना को ये तराना बेहद पसंद आया, साथ ही उन्हें लगा कि इससे दुनिया को भी एक सेक्युलर पाकिस्तान का संदेश जाएगा.

वहीं पाकिस्तान के कट्टरपंथी सोच के नेताओं को ये बात कतई पसंद नहीं आ रही थी कि इस नए-नवेले मुस्लिम देश का तराना एक हिंदू का लिखा हुआ हो.

वो इसकी मुखालिफत करते रहे. लेकिन जिन्ना के आगे इनकी एक न चल सकी और उसे ही कौमी तराना बनाया गया.

जिन्ना की मौत के बाद इस कौमी तराना 'ऐ सर जमीन-ए-पाक' को हटा दिया गया. फिर नया कौमी तराना 'पाक सरजमीन शाद बाद' को लागू कर दिया गया.