हम लोगों ने हज यात्रा के बारे में बहुत कुछ जानते और सुनते रहते हैं. हज यात्रा के लिए हर साल दुनिया भर से लाखों लोग जाते हैं. क्या आपको पता है कि एक ऐसा भी तीर्थस्थान है, जहां हज से भी ज्यादा मुस्लिम जाते हैं.
इराक में दुनिया की सबसे बड़ी वार्षिक सार्वजनिक सभा का आयोजन किया जाता है. दुनियाभर के मुस्लिमों के बीच अरबाईन तीर्थयात्रा काफी अहमियत रखती है. जिसमें हर साल करीब 2 करोड़ शिया मुसलमान तीर्थयात्री भाग लेते हैं.
हर साल अरबाईन तीर्थयात्रा में हज यात्रा से भी ज्यादा मुसलमान हिस्सा लेते हैं. ये तीर्थयात्रा आशूरा के बाद 40 दिनों की शोक की अवधि के आखिर में इराक के कर्बला में आयोजित किया जाता है. तीर्थयात्रा 61 हिजरी यानी साल 680 में पैगंबर मुहम्मद के पोते और तीसरे शिया मुस्लिम इमाम हुसैन इब्न अली की शहादत की याद में की जाती है.
हुसैन इब्न अली को हर तरह की आजादी, करुणा और सामाजिक न्याय का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में वह सभी सांस्कृतिक सीमाओं से परे हैं.
तीर्थयात्री पैदल कर्बला की ओर चल पड़ते हैं, जहां हुसैन और उनके साथियों को उन्हीं लोगों ने धोखा दे दिया था. कहा जाता है कि कर्बला की लड़ाई में उबैद अल्लाह इब्न जियाद की सेना ने सिर काटकर हुसैन को शहीद कर दिया था.
तीर्थयात्रियों के लिए रास्ते में कुछ लोगों द्वारा भोजन, आवास समेत कई सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. इस पैदल यात्रा को शिया विश्वास और एकजुटता का प्रदर्शन माना जाता है.
तीर्थयात्रा के 20 दिनों के लिए पूरे इराक में शिया शहर, कस्बे और गांव खाली हो जाते हैं. इस दौरान शिया मुस्लिम संगठित तरीके से तीर्थयात्रा पर निकलते हैं. आंकड़ों के मुताबिक, साल 2017 में अरबाईन तीर्थयात्रा या कर्बला वॉक या कर्बला तीर्थयात्रा में 2.5 करोड़ लोगों ने हिस्सा लिया था.
सद्दाम के समय में इस तीर्थयात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया गया था लेकिन भी कुछ विद्वानों और मार्जा ने अरबाईन को जारी रखा. इस दौरान बहुत कम लोग ही यात्रा में भाग पाते थे. सद्दाम के 2003 में तख्तापलट के बाद इसे फिर शुरू किया गया.
हर साल मार्च में शुरू होने वाली इस यात्रा में करोड़ों लोग क्षेत्र, जाति और संप्रदाय को भूलकर हिस्सा लेते हैं. इस यात्रा में बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल होते हैं.