Dec 23, 2023, 10:18 PM IST

कौन है महरंग बलोच, जिससे खौफ खा रही है पाकिस्तानी सेना

Kuldeep Panwar

कौन है महरंग बलोच, ये सवाल इस समय पूरा पाकिस्तान एक-दूसरे से पूछ रहा है. कारण है, इस महिला के नेतृत्व में बलूचिस्तान की जनता का पाकिस्तानी राजधानी इस्लामाबाद पहुंच जाना.

बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना पिछले 70 साल से जुल्म कर रही है. युवाओं को हिरासत में लेकर मार दिया जाता है. इसके खिलाफ प्रदर्शन करने ही बलोची जनता इस्लामाबाद पहुंची है.

पहले जान लीजिए बलूचिस्तान की क्या कहानी है? 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय बलूचिस्तान ने खुद को अलग आजाद देश घोषित किया था.

पाकिस्तान ने अपनी सेना की बदौलत बलूचिस्तान पर जबरन कब्जा कर लिया था, जिसका आज तक वहां की जनता विद्रोह कर रही है. यह इलाका खनिज पदार्थों का अथाह भंडार है.

महरंग बलोच ने बलोची जनता को पाकिस्तानी सेना के जुल्म के खिलाफ लेकर इस्लामाबाद पहुंची है, जिन्हें शहर में घुसने से रोकने के लिए इस्लामाबाद पुलिस ने जबरदस्त लाठीचार्ज किया है.

पाकिस्तानी सरकार और वहां की सेना के लिए खौफ का सबब बनी महरंग बलोच बलूचिस्तान के तुरबत जिले की रहने वाली 30 साल की महिला हैं, जो पेशे से डॉक्टर हैं.

खुद को मानवाधिकार कार्यकर्ता मानने वालीं महरंग के पिता अब्दुल गफ्फार बलोच भी वामपंथी कार्यकर्ता थे, जो पाकिस्तानी सेना के खिलाफ प्रदर्शनों का नेतृत्व करते थे.

महरंग ने बोलान मेडिकल कॉलेज से MBBS की डिग्री ली है. उनका परिवार पहले क्वेटा में रहता था, लेकिन अब उनकी मां के इलाज के लिए वे लोग कराची में शिफ्ट हो गए हैं.

जब महरंग महज 16 साल की थीं, तब पाकिस्तानी सेना ने उनके पिता का अपहरण कर लिया था. दो साल बाद उसके पिता की लाश मिली थी, जिस पर भयानक टार्चर के निशान थे.

साल 2009 में पिता के अपहरण के समय से ही महज 16 साल की महरंग ने पाकिस्तानी जुल्म के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था, जो आज तक जारी है. 

साल 2017 में उनके भाई को भी अपहरण कर तीन महीने हिरासत में रखा गया था. महरंग पाकिस्तानी सेना द्वारा बलोच युवाओं के अपहरण-हत्या के खिलाफ कई बार भूख हड़ताल कर चुकी हैं.

बलूचिस्तान में बेहद पॉपुलर महरंग ने साल 2020 में बोलान मेडिकल कॉलेज में प्रांत के रिमोट इलाकों से आने वाले स्टूडेंट्स का आरक्षण खत्म करने के विरोध में भी लंबा आंदोलन चलाया था.

महरंग इस समय बलूचिस्तान से इस्लामाबाद तक लॉन्ग मार्च का नेतृत्व कर रही हैं, जिसने पाकिस्तानी सरकार की नींव को हिला दिया है. इसे बेहद अहम आंदोलन माना जा रहा है.