डीएनए हिंदी: EU Parliament On Manipur- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के दौरे पर फ्रांस के दौरे पर गए हुए हैं. यूरोप के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक फ्रांस ने प्रधानमंत्री मोदी का अपने यहां खुलकर स्वागत किया है, लेकिन इसी दौरान यूरोपीय संसद में भारत के खिलाफ मणिपुर हिंसा को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया है. एकतरफ फ्रांस पीएम मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर से सम्मानित कर रहा था, दूसरी तरफ उसी समय यूरोपीय संसद उन पर भारत में हिंदू बहुसंख्यकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगा रही थी.
क्या है पूरा मामला, क्यों यूरोपीय संसद में इस तरह का प्रस्ताव आया है और पीएम मोदी के फ्रांस दौरे पर क्या हुआ है? इन सब सवालों के जवाब आपको 8 पॉइंट्स में बताते हैं.
1. पीएम मोदी को फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने गले लगाकर किया स्वागत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के दौरे पर फ्रांस पहुंचे हैं. फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां ने पीएम मोदी को गले लगाकर उनका स्वागत किया. मैक्रां ने पीएम मोदी को ऐतिहासिक एलीसी पैलेस में डिनर के लिए बुलाया. इस दौरान दोनों देशों के बीच गहरी दोस्ती की झलक दिखी. इस दौरान पीएम मोदी को फ्रांस के सर्वोच्च सम्मान ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया. यह सम्मान पाने वाले पीएम मोदी पहले भारतीय बने हैं. इस सम्मान की घोषणा पहले ही की जा चुकी थी. अब उनके दौरे पर यह सम्मान उन्हें दिया गया है.
2. पीएम की फ्रांस में मौजूदगी के बीच यूरोपीय संसद में आया ये प्रस्ताव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस में मौजूदगी के बीच यूरोपीय संसद ने मणिपुर हिंसा को लेकर भारत के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है. इसमें भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ असहिष्णुता का माहौल होने की बात कही गई है. साथ ही आरोप लगाया गया है कि इसके चलते ही मणिपुर हिंसा के हालात बने हैं. प्रस्ताव में सरकार पर राजनीति से प्रेरित विभाजनकारी नीतियों को बढ़ावा देने का आरोप है, जिससे मणिपुर में हिंदू बहुसंख्यकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस प्रस्ताव पर हाथ उठाकर वोटिंग कराई गई, जिसमें इसे पारित घोषित किया गया.
3. प्रस्ताव में दिया गया है हिंसा का ब्योरा
यूरोपीय संसद के प्रस्ताव में मणिपुर में हुई हिंसा का ब्योरा दिया गया है. प्रस्ताव में कहा गया है कि मणिपुर में मई माह में शुरू हुई हिंसा में अब तक 120 लोग मारे जा चुके हैं और 50,000 लोग घरों से विस्थापित हुए हैं. प्रस्ताव में 17,000 घरों और 250 चर्च नष्ट करने का जिक्र है.
4. सुरक्षा बलों पर हिंसा में शामिल होने का आरोप
प्रस्ताव में सुरक्षा बलों पर भी मणिपुर की जातीय हिंसा में शामिल होने का आरोप लगाया गया है. कहा गया है कि सुरक्षा बल हिंसा में एक पक्षीय कार्रवाई कर रहे हैं. झूठे एनकाउंटर किए जा रहे हैं. इससे प्रशासन के प्रति भरोसा और कम हुआ है.
5. इंटरनेट बंद कर हिंसा की खबरें रोकने की निंदा
मणिपुर की राज्य सरकार की भी निंदा की गई है. कहा गया है कि राज्य सरकार ने इंटरनेट कनेक्शन इसलिए बंद कर दिए हैं ताकि मणिपुर हिंसा की खबरों की सही रिपोर्टिंग नहीं की जा सके. मीडिया के काम में गंभीर रूप से बाधा डालने की साजिश की गई है.
6. प्रस्ताव में भारत से मांगी गई स्वतंत्र जांच की इजाजत
यूरोपीय संसद के सदस्यों ने भारत से हिंसा की स्वतंत्र जांच की इजाजत देने, इंटरनेट बैन खत्म करने और दोषियों की पहचान करने की मांग की है. यूरोपीय संसद ने प्रस्ताव में भारत सरकार से धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के जरूरी उपाय करने को कहा है. साथ ही हिंसा पर तत्काल काबू पाने की अपील की है. हिंसा के बीच भड़काऊ बयानबाजी को भी बंद कराए जाने की मांग की गई है. साथ ही मानवाधिकार के मुद्दे को यूरोप-भारतीय साझीदारी में व्यापारिक मुद्दों के साथ शामिल करने की बात कही गई है. यूरोपीय संसद ने यूरोप-भारत मानवाधिकार डायलॉग शुरू करने की वकालत भी की है.
7. यूरोपीय देशों से भारत के सामने तीन मुद्दे उठाने को कहा
यूरोपीय संसद के सदस्यों ने यूरोपीय देशों से भारत के साथ द्विपक्षीय वार्ताओं में भी मानवाधिकार से जुड़ी चिंताओं को जगह देने की मांग की है. इन वार्ताओं में तीन मुद्दे उठाने के लिए कहा गया है. ये तीन मुद्दे हैं, बोलने की आजादी, धर्म का पालन करने की आजादी और सिविल सोसाइटी के लिए कम होती जगह.
8. 'यह भारत का आंतरिक मामला, इससे दूर रहें'
भारत ने यूरोपीय संसद से कहा है कि हमारे आंतरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं किया जाए. विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने मीडिया से गुरुवार रात में कहा कि भारत ने यूरोपीय संसद के सांसदों के सामने इस मुद्दे पर अपना नजरिया रखा था. उन्हें बताया गया था कि यह भारत का आंतरिक मामला है और इससे उन्हें दूर रहना चाहिए. इसके बावजूद वे ये मुद्दा उठा रहे हैं. हम इस मामले को देख रहे हैं.
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