Pakistan: Masood Khan को एंबेसडर नहीं मान रहा अमेरिका, क्या है जिहादी कनेक्शन?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 02, 2022, 01:46 PM IST

Masood Khan. (File Photo)

मसूद खान को पाकिस्तान सरकार ने अमेरिका में राजदूत नियुक्त किया था. बाइडेन प्रशासन ने अब तक स्वीकृति नहीं दी है.

डीएनए हिंदी: पाकिस्तान (Pakistan) दुनियाभर में जिहाद (Jihad) और आतंकवाद (Terrorism) को लेकर बदनाम है. दुनिया के कई देश पाकिस्तान के कट्टरपंथी रवैये की वजह से राजनयिक दूरी बना रहे हैं. अमेरिका (USA) पाकिस्तान की ओर से नामित किए गए एंबेसडर मसूद खान (Masood Khan) की नियुक्ति को मान्यता नहीं दे रहा है. मेजबान देश जब तक स्वीकृति नहीं देता तब तक अमेरिका में राजदूत की नियुक्ति दूसरा देश नहीं कर सकता है. नवंबर 2021 में पाकिस्तान सरकार ने राजदूत का नाम नियुक्ति के लिए भेजा था लेकिन बाइडेन प्रशासन ने अब तक मंजूरी नहीं दी है.

रिपब्लिकन सांसद स्कॉट पेरी (Scott Perry) ने बीते सप्ताह राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) को लिखे एक पत्र में अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत के तौर पर मसदू खान के चयन के बारे में गंभीर चिंता जाहिर की थी. स्कॉट पेरी ने कहा था कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक जिहादी और आतंक के हमदर्द शख्स को राजदूत के तौर पर नियुक्त किया है. उनकी यह मांग खारिज होनी चाहिए. भारत हमारा सहयोगी देश है और हमारे भारतीय सहयोगियों के हितों की रक्षा होनी चाहिए. 

स्कॉट पेरी ने जो बाइडेन से अपील की है कि आप मसूद खान द्वारा प्रस्तुत किसी भी राजनयिक परिचय पत्र अस्वीकार करें और पाकिस्तान सरकार द्वारा इस जिहादी को अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत के रूप में स्थापित करने के किसी भी प्रयास को अस्वीकार करें.

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कौन हैं Masood Khan?

मसूद खान साल 1980 में पाकिस्तान की की विदेश सेवा (Foreign Service) में शामिल हुए थे. 70 वर्षीय मसूद खान पश्तून के रहने वाले हैं. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के रावलाकोट में पैदा होने वाले मसूद खान को पहली बार बड़ी जिम्मेदारी 26 नवंबर 2011 के ठीक 2 साल बाद मिली थी. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय में मसूद खान प्रवक्ता रहे हैं. मसूद खान पाकिस्तानी मीडिया के लिए सहजता से उपलब्ध थे. 

मसूद खान का कद इसके बाद लगातार बढ़ता गया. पाकिस्तान की सेना की नीतियों में उनका दखल बढ़ता गया. पाकिस्तान की विदेश सेवा में सामान्य तौर पर कश्मीरियों को शामिल नहीं किया जाता है. मसदू खान अपवाद रहे हैं. पाकिस्तान की डिप्लोमेसी में मसूद खान की व्यापक स्वीकार्यता है. जनरल परवेज मुशर्रफ सरकार ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थाई प्रतिनिधि के तौर पर मसूद खान को भेजा था. साल 2008 में प्रधानमंत्री युसुफ रजा गिलानी के नेतृत्व वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी सरकार ने उन्हें चीन का राजदूत नियुक्त किया. 4 साल बाद उन्हें न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि नामित किया गया.

PoK के राष्ट्रपति रह चुके हैं मसूद खान

पाकिस्तान लौटने के बाद नवाज शरीफ के अचानक बाधित कार्यकाल के अंत में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के राष्ट्रपति के लिए उनका नाम सामने आया. पाकिस्तान आधिकारिक तौर पर कश्मीर के इस हिस्से को अपना नहीं मानता है. PoK के प्रेसीडेंट के तौर पर पर उनकी नियुक्ति हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के ठीक 2 महीने बाद हुई. कश्मीर में इसी दौरान अनगिनत विरोध प्रदर्शन हुए थे. मसूद खान कश्मीर पर लगातार भारत विरोधी बयान देते रहते थे. कश्मीर को लगातार मसूद खान अंतरराष्ट्रीय विवाद बताते रहे हैं.

आतंकियों के हमदर्द हैं मसूद खान

अमेरिकी सांसद ने साफ तौर पर कहा है कि मसूद खान आतंकवादियों से सहानुभूति रखते हैं और युवाओं को जिहादवादियों का अनुकरण करने के लिए प्रोत्साहित किया करते हैं. मसूद खान विदेशी आतंकवादी संगठनों की प्रशंसा कर चुके हैं. बीते साल अगस्त तक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के राष्ट्रपति के तौर पर कार्य कर चुके मसूद खान को नवंबर में अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत के रूप में नामित किया गया था.

पाकिस्तान के एक पूर्व विदेश सचिव ने कहा कि आम तौर पर, विदेश विभाग को पहले पाकिस्तानी राजदूतों के लिए कूटनीतिक समझौता जारी करने में चार से छह सप्ताह लगते थे. एक अन्य राजनयिक ने कहा कि इस बार वे असामान्य रूप से लंबा समय ले रहे हैं.

क्या है अमेरिकी सांसद का तर्क?

स्कॉट पेरी ने अपने पत्र में लिखा है कि मसूद खान ने युवाओं को हिजबुल मुजाहिदीन के पूर्व कमांडर बुरहान वानी जैसे जिहादियों के रास्ते पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया है. बुरहान वानी ने भारत के खिलाफ कथित जिहाद में जान गंवाई है. 2017 में, खान ने हिजबुल मुजाहिदीन के नेता को प्रतिबंधित करने के लिए अमेरिका पर निशाना साधा था और उस पर लगे प्रतिबंधों को अनुचित कहा था.

भारत के खिलाफ देते रहे हैं बयान

मसूद खान भारत के खिलाफ बयान देते रहे हैं. पाकिस्तान के आतंकी संगठनों पर लगाए जा रहे वैश्विक प्रतिबंधों को गलत ठहराते रहे हैं. कश्मीर पर लगातार मसदू खान भारत विरोधी टिप्पणी करते रहते हैं. मसूद खान आतंकियों और संदिग्ध आतंकियों की रिहाई की भी गुहार लगाते रहे हैं. यही वजह है कि अमेरिका में उनकी नियुक्ति लटकाई जा रही है.

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