Myanmar में महिलाएं हैं सैनिक सत्ता के ख़िलाफ़ हो रहे प्रतिरोधों में आगे

| Updated: Feb 03, 2022, 05:25 PM IST

म्यांमार में प्रदर्शनों के इतिहास को देखा जाए तो औरतों ने यहां ख़ास भूमिका निभाई है. यहां महिलाएं प्रतिरोध ही नहीं, राजनीति में भी अहम् भूमिका में रही

डीएनए हिंदी : 2021 की एक फरवरी को म्यांमार में सैनिक शासन लग गया था. इस घटना को बीते अब एक साल हो चुके हैं पर इस एक साल में जनता के द्वारा किए जा रहे प्रतिरोधों की संख्या में भी इज़ाफ़ा हुआ है. यांगोन समेत देश के बड़े शहरों में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. इन प्रदर्शन की सबसे ख़ास बात इनमें युवा प्रदर्शनकारियों का होना है. नारे लगाते, गलियों में घूमते वे युवा प्रदर्शनकारी बार-बार बाहर निकल आते हैं और फिर तुरंत ही सेना के द्वारा तितर-बितर कर दिए जाते हैं.

इस ख़बर को लिखते हुए जर्मन अख़बार Deutsche Welle लिखता है कि ऐसे प्रदर्शन जानलेवा हैं. अख़बार आगे यह भी लिखता है कि इन प्रदर्शनों में महिलाएं सबसे आगे होती हैं.

महिलाओं का नेतृत्व

कभी भी मारे जाने की आशंका के साथ जीते इन प्रदर्शनों के सामने रहने प्रदर्शनकारी अब बंदूकों की नोक से आगे की बात सोचने लगे हैं. जर्मन अख़बार से 25 साल की Htet Htar कहती हैं कि अब केवल प्रदर्शन से काम नहीं चलेगा. वे बताती हैं कि पिछले जून में उन्होंने पीपल'स डिफेन्स फ़ोर्स जॉइन कर लिया है. यह संस्था कथित रूप से नागरिकों की बनाई हुई हथियारबंद संस्था है जो सेना से लोहा लेती है.

वह आगे कहती हैं, "मेरे पास कोई रास्ता बचा है क्या? फ़ौज ने मुझसे मेरा सब छीन लिया है." 

म्यांमार में प्रदर्शनों के इतिहास को देखा जाए तो औरतों ने यहां ख़ास भूमिका निभाई है. पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद् की मानवाधिकार प्रमुख ने भी म्यांमार की महिलाओं के हौसले को रेखांकित किया था.

 

सैनिक शासन लगने के बाद से बेरहमी से पेश आ रही है सत्ता

पिछले साल फरवरी-मार्च के दिनों में ही जनता का सैनिक शासन के ख़िलाफ़ प्रदर्शन शुरू हो गया था. सेना ने उसके बाद बेहद हिंसक तरीके से इन प्रदर्शनकारियों से निबटना शुरू किया था. लोगों ने सैनिकों को रोकने के कई तरीके अख्तियार किए. उन्होंने औरतों के द्वारा पहने जाने वाले रैप अराउंड स्कर्ट को झंडा बनाकर गलियों में फहराना भी शुरू कर दिया था. गौरतलब है कि म्यांमार में यह अंध-विश्वास है कि अगर मर्द औरतों के कपड़े के नीचे से गुज़रता है तो अपना शौष्ठव और पौरुष खो देता है.  हालांकि इससे सैनिक रुके तो नहीं पर प्रदर्शनकारियों को भागने का मौक़ा मिल जाता.

कद्दावर महिला नेताओं का देश 

म्यांमार एक रूढ़िवादी देश रहा है पर यहां आंग सां सू की सरीखी कद्दावर महिला महिला नेता भी रही हैं. महिलाएं केवल प्रतिरोध ही नहीं, मुख्य राजनीति में भी अहम् भूमिका निभाती रही हैं.

देश की निष्कासित National Unity Government (NUG) में पहले की तुलना में अधिक महिलाएं मुख्य पदों पर थी. इस सरकार में स्टेट काउंसलर का पद भार संभालने वाली  विश्व प्रसिद्ध नेता आं सांग सू की इन दिनों नज़रबंद हैं.