डीएनए हिंदी: ऐतिहासिक धरोहरों की खोज के दौरान खाड़ी देश संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के सिनियाह द्वीप पर एक ईसाई मठ मिला है. अनुमान लगाया गया है कि यह मठ करीब 1,400 वर्ष पुराना है. ऐसे में यह भी कहा दा रहा है कि यह मठ इस्लाम धर्म की शुरुआत से पहले का है जब इस्लाम धर्म के प्रमुख पैगंबर मोहम्मद का जन्म भी नहीं हुआ था. इस मठ के अवशेषों में काफी दुर्लभ आकृतियां भी बनी हैं.
इस मठ को लेकर आई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह मठ लगभग 1400 साल से भी पहले बनाया गया था. इस मठ के अवशेषों में एक गलियारेनुमा चर्च की आकृति भी दिखी जिससे यह पता चलता है कि उस इलाके में इस्लाम से पहले ईसाई धर्म का प्रचार हुआ था और ईसाई लोग वहां मौजूद थे. इतिहासकारों ने कहा कि इस तरह के प्राचीन चर्च और मठ फारस की खाड़ी के साथ-साथ वर्तमान ओमान के तटों और पूरे भारत में फैले हुए थे जो कि इस्लाम के पहले के हैं.
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जानकारी के मुताबिक इस मठ के साथ ही सिनियाह द्वीप पर बैप्टिज्म के लिए अलग कक्ष और ऐसे कई कमरों के अवशेष मिले हैं, जिनका इस्तेमाल अक्सर चर्च में होने वाले समारोह के लिए वेफर्स और ब्रेड बनाने के लिए किया जाता है. इसके साथ ही वहां कई छोटे-छोटे कक्ष भी मिले हैं जिनके इस्तेमाल को लेकर यह अनुमान लगाया गया है कि ईसाई धर्म में पादरियों के एकांत में समय बिताने और ईश्वर का ध्यान करने के लिए किया था.
आपको बता दें कि यूएई के सिनियाह द्वीप पर अपनी तरह का ये दूसरा मठ मिला है. पहला मठ साल 1990 में मिला था. इतिहासकारों का मानना है कि इस क्षेत्र में इस्लाम का प्रसार होने के बाद ईसाई लोग इस्लाम में परिवर्तित होने लगे इसलिए धीरे-धीरे लोगों ने इस मठ को भुला दिया होगा. साथ ही कुछ को ध्वस्त किया जाने लगा था.
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वहीं खास बात यह है कि इस मठ का सीधा संबंध भारत से भी है. इस मामले में में पुरातत्वविदों ने इराक, बहरीन, ईरान, कुवैत और सऊदी अरब में इस तरह के अन्य ईसाई मठ खोजे हैं. 1990 में पुरातत्ववेत्ताओं ने यूएई में पहले ईसाई मठ की खोज की थी. इस खोज के दौरान पुरातत्वविदों को मठ के आसपास आठ से अधिक घर के अवशेष भी मिले जिन्हें लेकर पुरातत्वविदों का कहना है कि उस समय इन घरों में लोग रहा करते थे. ये मठ भारत के व्यापार मार्ग से यात्रा करने वाले लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य था. भारत उस दौरान ईसाई धर्म के लिए भी काफी अहम हो गया था.
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