डीएनए हिंदी: म्यांमार की सत्ता से बेदखल की जा चुकी नेता आंग सान सू की (Aung San Suu Kyi) के खिलाफ कानूनी शिकंजा लगातार कसता जा रहा है. एक अदालत ने शुक्रवार को चुनावी धोखाधड़ी के एक मामले में आंग सान सू की को दोषी करार दिया है और उन्हें तीन साल कैद की सजा सुनाई है. म्यामांर में आर्मी शासन (Army Rule) आने के बाद से ही सू की को कई अलग-अलग मामलों में 17 सालों की सजा सुनाई जा चुकी है. इस सजा के बाद उन्हें अब और अधिक समय जेल में काटना होगा यानी कि लगभग 20 साल की सजा काटनी होगी.
इस फैसले के बाद आंग सान सू की के नेतृत्व वाली 'नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी' का अस्तित्व भी खतरे में आ गया है. दूसरी तरफ म्यांमार की सेना ने देश में अगले साल नए सिरे से चुनाव कराने की घोषणा की है. सू की सरकार के दो वरिष्ठ सदस्यों को भी इसी मामले में तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई है. गौरतलब है कि 1 फरवरी 2021 को म्यांमार की सेना ने देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी और सू की के साथ-साथ म्यांमार के कई बड़े नेताओं को हिरासत में ले लिया था.
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सेना ने लगाया था चुनाव में धांधली का आरोप
आपको बता दें कि आंग सान सू की की पार्टी ने पिछले आम चुनाव में भारी जीत हासिल की थी लेकिन सेना का कहना है कि चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली हुई. हालांकि, स्वतंत्र चुनाव पर्यवेक्षकों को कोई बड़ी अनियमितता नहीं मिली थी. बैंकॉक स्थित 'एशियन नेटवर्क फॉर फ्री इलेक्शन' के प्रवक्ता अमेल वियर ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने चुनाव में कोई धोखाधड़ी नहीं देखी.
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वियर ने 'द एसोसिएटेड प्रेस' से कहा, 'म्यांमार के स्थानीय चुनाव पर्यवेक्षकों को भी ऐसा कुछ नहीं मिला. यकीनन सुधार की गुंजाइश थी, हम अब भी कई अन्य लोकतंत्रों से पीछे हैं (म्यांमा में) लेकिन जुंटा का 25 प्रतिशत मतदाताओं का फर्जी होने का दावा..हमारी जांच में सही साबित नहीं हो पाया.' सेना के सत्ता में आने के बाद से देश में व्यापक स्तर पर शुरू किए गए शांतिपूर्ण प्रदर्शन को बलपूर्वक रोकने की कोशिश की गई. इसके बाद देश में कई हिंसक प्रदर्शन हुए.
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संयुक्त राष्ट्र के कुछ विशेषज्ञों ने इसे गृह युद्ध भी करार दिया है. सू की को अवैध रूप से वॉकी-टॉकी आयात करने और रखने, कोरोना वायरस संक्रमण के प्रतिबंधों का उल्लंघन करने, राजद्रोह और भ्रष्टाचार के पांच मामलों में पहले ही 17 साल जेल की सजा सुनाई गई है. उनकी पार्टी और सरकार के कई शीर्ष सदस्य भी जेल में हैं, जबकि अन्य कई छिपे हुए हैं या विदेश भाग गए हैं.
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