बांग्लादेश में पिछले एक हफ्ते से सियासी उठा-पटक अपने चरम पर है. वहां छात्रों की तरफ से जारी हिंसक आंदोलन की वजह से शेख हसीना को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. वो सोमवार को अपने पद से इस्तीफा देते ही भारत आ गई थीं. बांग्लादेश की सेना की तरफ से उन्हें पीएम का पद छोड़ने के लिए कहा गया था. हसीना के देश छोड़ते ही वहां की सेना की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई थी. इस दौरान वहां के सेना प्रमुख वकर उज जमान ने बताया कि देश में अंतरीम सरकार का गठन किया जाएगा. प्रदर्शन कर रहे छात्रनेताओं की राय को देखते हुए मंगलवार को नोबेल प्राइज विजेता मुहम्मद यूनुस को अस्थायी सरकार की जिम्मेदारी दे दी गई है. मुहम्मद यूनुस आज अस्थायी पीएम को तौर पर शपथ लेंगे. लेकिन उनकी शपथ में ये पेंच फंस रहा है कि बांग्लादेश के संविधान में अंतरीम सरकार का कोई प्रावधान नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि वो और वहां की सेना इस संवैधानिक संकट को कैसे हल करेंगे.
अनुच्छेद 57 के तहत पूरी कैबिनेट भंग
बांग्लादेश के संविधान की बात करें तो उसके अनुच्छेद 57 में लिखा हुआ है कि अगर पीएम ने अपना त्यागपत्र सौंपा है तो इसे पूरे कैबिनेट का त्यागपत्र माना जाएगा. इसके तहत दूसरे मंत्री, राज्य मंत्री और उप-मंत्री भी अपने पद से बेदखल हो जाएंगे. यानी पूरी कैबिनेट भंग हो जाएगी. सियासी पार्टियों की तरफ से की जा रही मांग को देखते हुए मंगलवार को वहां के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दी ने संसद को भंग कर दिया है.
कैसे संभव है अतरिम सरकार का गठन
राष्ट्रपति के द्वारा संसद भंग होने के बाद बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनने के रास्ते खुल गए हैं. वहीं, इस नई सरकार के गठन को लेकर मंगलवार को छात्र नेताओं और सेना प्रमुख के बीच एक मुलाकात हो चुकी है. इसको लेकर छात्र नेताओं की तरफ से अंतरिम सरकार के प्रारूप को लेकर बातचीत की गई. इसी दौरान तय हुआ कि युनूस के अगुवाई में अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा.
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