डीएनए हिंदी: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) अपनी चार दिनों की भारत यात्रा पर आने वाली हैं. न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने साल 1975 के नरसंहार का दर्द साझा किया है. उन्होंने बताया कि कैसे उनका परिवार देश के भागने को मजबूर हुआ और उन्हें दिल्ली के पंडारा रोड पर शरण लेनी पड़ी. शेख हसीना ने यह भी कहा कि उस समय जितना अत्याचार लोगों के साथ हुआ उसमें न्याय नहीं मिला.
शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के नेता रहे शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी गई थी. शेख हसीना ने बताया कि पिता की हत्या के बाद उनके पूरे परिवार पर खतरा मंडरा रहा था. यही वजह थी कि वह बांग्लादेश के परिवार सहित भाग निकलीं. उन्होंने यह भी बताया कि कुछ दिनों तक चुपके से दिल्ली के पंडारा रोड पर अपने बच्चों के साथ रहीं. इस दौरान उन्होंने अपनी पहचान छिपा रखी थी ताकि उनके पिता के हत्यारे उनके परिवार तक न पहुंच जाएं.
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पिता की हत्या को याद करके भावुक हो गईं शेख हसीना
इस इंटरव्यू में शेख हसीना बार-बार भावुक हो गईं. अपने पिता की हत्या के लगभग 5 दशक बाद उन्होंने पूरी दास्तान बयां की है. शेख हसीना ने कहा कि वह जर्मनी में अपने पति के साथ रहने के लिए गई थीं. 30 जुलाई 1975 को शेख हसीना और उनकी बहन को विदा करने के लिए परिवार के लोग एयरपोर्ट आए थे. शेख हसीना ने कहा कि उन्हें बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि यही मुलाकात उनकी आखिर मुलाकात साबित हो जाएगी.
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15 अगस्त 1975 को शेख हसीना को सूचना मिली कि उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी गई है. उनकी हत्या के कुछ ही समय बाद परिवार के और भी लोगों की हत्या कर दी गई. शेख हसीना ने आंखों में आंसू भरके बताया, 'हमें भरोसा नहीं हो रहा था कि कोई बंगाली ऐसा कर सकता है. हमें आज तक नहीं पता है कि ऐसा आखिर हुआ कैसे. हमें सिर्फ़ इतना पता है कि साजिश की गई और मेरे पिता की हत्या कर दी गई. हमें यह नहीं पता कि परिवार के बाकी लोगों को कैसे मार दिया गया.'
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