बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफे के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार का गठन हो गया है. हालांकि अभी भी हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है. बांग्लादेश में तख्तापलट होने के बाद उस देश ने भारत से जुड़ी हर एक चीज का नामोनिशान मिटाने की कोशिश में जुटा हुआ है.
भारतीय चीजों की तोड़-फोड़
शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद प्रदर्शनकारियों ने न सिर्फ बांग्लादेश के हिंदुओं को निशाना बनाया, बल्कि उन्होंने बांग्लादेश में भारत से जुड़ी हर एक चीज को तोड़ना शुरू कर दिया है. लेकिन ये नई सरकार और प्रदर्शनकारी शायद इस बात को भूल गए हैं कि अगर भारत ने अब भी अपने हाथ पीछे खींच लिए तो बांग्लादेश में तबाही और बर्बादी के अलावा और कुछ भी दिखाई नहीं देगा.
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बांग्लादेश में एक स्मारक ही तस्वीर है, जो भारत और पाकिस्तान की 1971 में हुई जंग की निशानी है. इस स्मारक में पाकिस्तानी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी को उस सरेंडर पेपर पर हस्ताक्षर करते हुए दिखाया गया है. लेकिन विरोध प्रदर्शन में इस स्मारक को भी तोड़ दिया गया है. बांग्लादेश में ये भारत से जुड़ी कोई पहली निशानी नहीं है, जिसे प्रदर्शनकारियों ने निशाना बनाया है. इससे पहले भारत के कई सांस्कृतिक केंद्रों, मंदिरों, हिंदुओं के घरों और हिंदुओं से जुड़ी जगहों को जला दिया गया. इसके साथ ही वहां हिंदुओं पर भी जुर्म किया जा रहा है.
बांग्लादेश में तबाही
हालांकि बांग्लादेश में अभी तक मोहम्मद युनूस की सरकार के गठन के बावजूद बांग्लादेश में यही हाल है. अगर मुहम्मद युनूस का रवैया ऐसा ही रहा और भारत ने सख्ती की, तो फिर बांग्लादेश में भी तबाही हो सकती है. इसकी वजह भारत और बांग्लादेश के कारोबारी रिश्ते हैं.
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