डीएनए हिंदी: China News- चीन की अर्थव्यवस्था बहुत अच्छी हालत में नहीं है. इसके बावजूद चीन दूसरे देशों से लगातार पंगा लेने से बाज नहीं आ रहा है. खासतौर पर खनिज पदार्थों से भरे दक्षिण चीन सागर में उसे किसी भी दूसरे देश की एंट्री बरदाश्त नहीं है. यहां आने वाले दूसरे देशों के जहाजों और नावों को भगाने के लिए चीन लड़ाकू विमानों तक का सहारा लेता रहा है. अब उसने एक ऐसा हथियार दक्षिण चीन सागर में उतार दिया है, जिससे गोली-बम चलाए बिना ही वह दूसरे देश की नाव या जहाज को बंधक बना सकता है. इस हथियार का इस्तेमाल उसने फिलीपींस कोस्ट गार्ड की नाव के खिलाफ करके भी दिखाया है, जो सेकंड थॉमस शॉल (समंदर में उभरे रेत के टीले) पर डूबे अपने नेवी पोत को सप्लाई पहुंचाने जा रही थी. चीनी नेवी पोत ने इस नाव पर यह हथियार आजमाया, जिसने फिलीपींस कोस्ट गार्ड को भागने पर मजबूर कर दिया.
लेजर लाइट से कर दिए कोस्ट गार्ड के जवान अंधे
दरअसल चीन ने इस एरिया में आर्मी लेवल की लेजर लाइट लगी नाव और पोत तैनात कर दिए हैं. फिलीपींस का आरोप है कि जब उसकी नाव अपने जहाज के लिए आपूर्ति लेकर अपने इलाके से गुजर रही थी, तब चीनी जहाज से उन पर लेजर लाइट चलाई गई. इससे फिलीपींस कोस्ट गार्ड की नाव के सभी कर्मचारी अस्थायी रूप से अंधे हो गए. ऐसे में कोई भी दुर्घटना हो सकती थी. इस कारण उन्होंने नाव वापस मोड़ ली. फिलीपींस का आरोप है कि चीन के जहाज ने लेजर लाइट चलाने के बाद उसकी नाव के करीब आने की भी कोशिश की और वह महज 137 मीटर दूर रह गया था. ऐसे में फिलीपींस की नाव जहाज से टकराकर टूट सकती थी. फिलीपींस ने इसे अपने समुद्री क्षेत्र में अपने संप्रभु अधिकारों का चीन की तरफ से उल्लंघन बताया है.
6 जनवरी की है घटना, फिलीपींस का है सेकंड थॉमस शॉल पर दावा
फिलीपींस सरकार के मुताबिक, यह घटना 6 जनवरी की है, लेकिन इसे अब सार्वजनिक किया गया है. हालांकि चीन से इस बारे में पहले ही शिकायत की जा चुकी है. हालांकि चीन ने इस पर कोई रिएक्शन नहीं दिया है. बता दें कि दक्षिण चीन सागर में सेकंड थॉमस शॉल को फिलीपींस अपना इलाका बताता है. वह अपने डूबे हुए पोत की मौजूदगी के जरिए भी इस इलाके पर अपना दावा ठोकता रहता है.
पहले चीन इन चीजों से भगाता था दूसरे देशों को
दक्षिण चीन सागर पर चीन अपना दावा ठोकता है. वह अपने पड़ोसी देशों के भी इस अनमोल खनिज संपदा वाले क्षेत्र में एंट्री करने पर ऑब्जेक्शन करता रहता है. दूसरे देशों की नावों को भगाने के लिए चीन अपनी नावों और पोत से उन पर पानी की तेज बौछार फेंकने या तेज आवाज सायरनों का इस्तेमाल करता रहा है. कई बार उसने दूसरे देश की नाव या पोत भगाने के लिए फाइटर जेट्स तक का सहारा लिया है. हालांकि साल 2016 में संयुक्त राष्ट्र के आर्बिट्रेशन कोर्ट ने चीन के दक्षिण चीन सागर पर दावे को मानने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि इसका कोई ऐतिहासिक सबूत मौजूद नहीं है. चीन कोर्ट के इस फैसले को भी मानने से इनकार करता रहा है.
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