China Crisis: काम नहीं आ रही चीन की कोई चाल, आर्थिक मोर्चे पर नई मुसीबत

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Sep 11, 2023, 07:35 PM IST

China Economic Crisis

China Economic Crisis: चीन अर्थव्यवस्था के स्तर पर लगातार संकटों से घिरता जा रहा है. जी-20 के सफल आयोजन के बाद जहां भारत की वैश्विक छवि मजबूत हुई है तो दूसरी ओर चीन को दुनिया के सबसे बड़े निवेशक ने बड़ा झटका दिया है. 

डीएनए हिंदी: आर्थिक मोर्चे पर मुश्किलों के सामना कर रहे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने जी-20 समिट में हिस्सा नहीं लिया था. जिनपिंग देश की गिरती अर्थव्यवस्था की वजह से घरेलू मोर्चे पर ही घिरे हुए हैं. चीन की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं औरइटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से बाहर निकलने का ऐलान कर दिया है. दूसरी ओर रूस का साथ देने की वजह से अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन भी चीन के खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाए हुए हैं. अब चीन को दुनिया के सबसे बड़े निवेशक ने झटका दे दिया है. दुनिया के सबसे बड़े सिंगल इन्वेस्टर ने चीन से अपना पूरा कारोबार समेटकर ले जाने का ऐलान कर दिया है. 

वैश्विक स्तर पर भी चीन की साम्राज्यवादी नीतियों के खिलाफ दुनिया के लगभग सभी बड़े देश एकजुट होकर बोल रहे हैं. फ्रांस ने तो चीन और रूस को संदेश देने के लिए वसुधैव कुटुंबकम का आह्वान किया है. चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना ओबीआरआई में फंसकर पाकिस्तान और श्रीलंका बर्बाद हो चुके हैं. इस वक्त चीन आर्थिक और वैश्विक स्तर पर लगातार चुनौतियां झेल रहा है. ऐसे में दुनिया की दिग्गज कंपनियों का निवेश बंद होने पर जिनपिंग की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. 

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चीन में बंद कर रहा है NBIM अपना ऑफिस 
दुनिया के सबसे बड़े सॉवरेन वेल्थ फंड को ऑपरेट करने वाले नॉर्गेस बैंक इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट (NBIM) अपना शंघाई दफ्तर पूरी तरह से बंद करने का ऐलान कर दिया है. अब इस फैसले के बदलने की भी कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि कंपनी ने औपचारिक बयान में कहा है कि ऑफिस बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और इस साल के अंत तक दफ्तर बंद कर दिया जाएगा. माना जा रहा है कि कंपनी अब अपना कारोबार सिंगापुर शिफ्ट कर सकती है. बता दें कि यह फर्म नॉर्वे सरकार के 1.4 ट्रिलियन डॉलर के पेंशन फंड को मैनेज करती है. 

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स्टॉक मार्केट की सबसे बड़ी सिंगल इन्वेस्टर कंपनी को चीन पर भरोसा नहीं 
यह कंपनी स्टॉक मार्केट में दुनिया का सबसे बड़ा सिंगल इन्वेस्टर है. 2022 के अंत तक इसकी चीन की करीब 850 कंपनियों में 42 अरब डॉलर की हिस्सेदारी थी. कंपनी फिलहाल इस बड़े निवेश को सिंगापुर से मैनेज करेगी लेकिन माना जा रहा है कि आने वाले कुछ सालों में निवेश का बड़ा हिस्सा दूसरी जगहों पर लगाया जा सकता है. चीन के बाद एशिया में सबसे बड़ा और भरोसेमंद विकल्प भारत ही है. हाल ही में चीन से कुछ और बड़ी कंपनियों ने भी अपना निवेश वापस लिया है. इनमें ओंटारियों टीचर्स पेंशन प्लान ने हाल में हॉन्ग कॉन्ग में अपने चाइना इक्विटी इन्वेस्टमेंट को बंद कर दिया था. अमेरिकी टेक रिसर्च एंड एडवाइजरी फर्म Forrester Research ने भी चीन में अपनी एनालिस्ट्स की संख्या कम करने का ऐलान किया है. 

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