डीएनए हिंदी: जब से अमेरिकी स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने ताइवान यात्रा की है तब से चीन बेचैन हो गया है. इस पर नाराजगी जताते हुए उसने ताइवान के करीबी इलाकों में सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है. इसे चीन-ताइवान युद्ध की आहट भी कहा जा रहा है. इस बीच चीन अमेरिका को भी धमकी दे चुका है. लेकिन सवाल ये भी उठ रहे हैं कि अगर चीन और ताइवान के बीच युद्ध होता है तो क्या दोनों की सैन्य ताकत एक-दूसरे के समान है! क्या ताइवान चीन की ताकत के आगे खड़ा हो पाएगा! इन सवालों के जवाब में एक दिलचस्प तथ्य सामने आया है. बात ये है कि ताइवान की सैन्य ताकत चीन के सामने बहुत कम है. इस पर भी ताइवान के नौजवान सेना में शामिल होने से बचने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाते हैं. उन्हें पश्चिमी मीडिया में स्ट्रॉबेरी सोल्जर कहा जाता है.
सेना में ना जाने पड़े इसलिए वजन बढ़ाते हैं ये नौजवान
चीन-ताइवान युद्ध की आहट के बीच इस समय दुनिया का सारा फोकस ताइवान के स्ट्रॉबेरी सोल्जर्स पर चला गया है. एक तरफ चीन ताइवान को इस तरह घेर रहा है जैसा पहला कभी नहीं हुआ तो दूसरी तरफ ताइवान के नौजवान हैं जो चीन से किसी भी तरह से उलझना नहीं चाहते. यूरो एशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक ताइवान के ज्यादातर युवा एक अच्छा और स्थिर करियर चाहते हैं. ना ही वे सेना में जाना चाहते हैं और ना ही चीन से किसी तरह का कोई विवाद पालना चाहते हैं. यही वजह है कि ये लोग अपना वजन बढ़ानेके लिए हैमबर्गर खाते रहते हैं. वजन बढ़ने की वजह से सेना में भर्ती नहीं हुआ जा सकता है. इसी वजह से इन्हें दुनिया भर में स्ट्रॉबेरी सोल्जर के नाम से जाना जाता है.
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ट्रेनिंग पर भी उठते हैं सवाल
दरअसल ताइवान में सैन्य भर्ती अनिवार्य थी, लेकिन लोगों के विरोध की वजह से इसे खत्म कर दिया गया. इस कारण ताइवान में सेना की संख्या में भी बीते एक दशक में काफी कमी आई है. अनिवार्य सेना भर्ती के रूप में अब सभी युवाओं को चार महीने की बेसिक ट्रेनिंग दी जाती है. इसमें भी कुछ युवा शामिल नहीं होना चाहते और बचने के लिए वजन बढ़ा लेते हैं.
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