डीएनए हिंदी: चीन के कर्ज में डूब चुके पाकिस्तान (China-Pakistan Relation) को अब बीजिंग नए-नए तरीकों से चूना लगा रहा है. पाकिस्तान के पावर प्लांट में कोयला लगाने के लिए चीन ने पूरा पैसा वसूला है. इसके बावजूद घटिया क्वालिटी के कोयले का इस्तेमाल किया है. पाकिस्तान सरकार इस बारे में जानते हुए भी चुप्पी साधे है. इसका सबसे बड़ा नुकसान देश के आम नागरिकों को हुआ है. पहले से ही गरीबी और भुखमरी से लड़ रहे हैं और बिजली बिल के लिए भी जमकर बवाल हो रहा है. पाकिस्तान के नेशनल इलेक्ट्रिक पावर रेगुलेटरी अथॉरिटी (नेप्रा) ने ही चीनी बिजली कंपनियों के बहुत बड़े हेराफेरी का भंडाफोड़ किया है. इन सबके बावजूद सरकार की चुप्पी बरकरार है जबकि जनता बिजली के लिए सड़क पर उतर चुकी है.
नेप्रा ने अपनी रिपोर्ट में आयतित कोयले को लेकर स्पष्ट तौर पर कहा है कि इसकी गुणवत्ता अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा नहीं करती है. बाहर से मंगाई गई एक भी कोयले की खेप ने आवश्यक मानकों को पूरा नहीं किया है. खराब गुणवत्ता के बाद भी चीन की कंपनियां अब तक अरबों रुपये वसूल चुकी हैं. इन सबका पूरा नुकसान सिर्फ आम आदमी को उठाना पड़ रहा है, जो पहले से ही महंगाई और बेरोजगारी की वजह से बदहाली के कगार पर है.
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चीन के कर्ज से चल रहा है पाकिस्तान का पावर प्लांट
पाकिस्तान ने चीन के कर्ज वाले पैसों से कोयला आधारित 6,777 मेगावाट का बिजली उत्पादन संयंत्रों को स्थापित किया है. इस्लामाबाद पहले से ही कर्जे के बोझ तले दबा हुआ है. इन संयंत्रों के ऑपरेशन का जिम्मा चीनी कंपनियों के पास है और उसके लिए कोयले का आयात भी कंपनियां ही करती हैं. खराब क्वालिटी के कोयले के इस्तेमाल का असर बिजली उत्पादन पर पड़ रहा है. पाकिस्तान में इस वक्त बिजली का भारी संकट भी है. इन पावर प्लांट के लिए पाकिस्तान को 643 अरब रुपये का कर्ज चुकाना है. कंगाल पाकिस्तान के लिए यह एक और मुसीबत है.
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चीन के कर्ज में डूबकर तबाह हुए पाकिस्तान और श्रीलंका
पाकिस्तान और श्रीलंका के दिवालिया होने के पीछे एक बड़ा वजह चीन से लिया भारी-भरकम कर्ज भी है. दोनों ही एशियाई देशों के ऊपर चीन का अरबों डॉलर कर्ज है जिसके जाल में अर्थव्यवस्था बदहाली के कगार पर पहुंच गई है. आईएमएफ के मुताबिक पाकिस्तान पर चीन का करीब 30 अरब डॉलर का कर्ज है। जबकि देश पर कुल विदेशी कर्ज 126 अरब डॉलर का है. अब पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका है और किसी देश से कर्ज भी नहीं मिल रहा है.
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