Chinese President XI Jinping: तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बने शी जिनपिंग, क्या सीमा पर बढ़ाएंगे भारत की मुश्किलें?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Mar 10, 2023, 11:17 AM IST

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो)

Xi Jinping Third Time President: शी जिनपिंग एक बार फिर राष्ट्रपति बन गए हैं. उन्होंने तीसरी बार कार्यकाल संभाल लिया है.

डीएनए हिंदी: नेशनल पीपल्स कांग्रेस (NPC) की 14वीं बैठक में शी जिनपिंग (Xi Jinping) को तीसरी बार भी राष्ट्रपति का कार्यकाल सौंप दिया गया है. चीन की राजनीति में शी जिनपिंग अजेय बनते जा रहे है. उन्होंने चीन का सर्वोच्च पद एक बार फिर संभाल लिया है. शुक्रवार को उन्होंने एक बार फिर राष्ट्रपति के तौर पर कार्यकाल संभाल लिया है. अब उन्होंने माओत्से तुंग से भी बड़ी ताकत हासिल कर ली है.

चीन की संसद नेशनल पीपल्स कांग्रेस के सालाना बैठक की शुरुआत 5 मार्च को हुई थी. एक सप्ताह से यह बैठक चल रही थी, इसी बैठक में उनके तीसरे कार्यकाल पर मुहर लगी है. चीन की संसद ने सर्मसम्मति से शी जिनपिंग को तीसरा कार्यकाल सौंपने का फैसला किया है.

बीते साल अक्टूबर में चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) ने अपनी कांग्रेस में जिनपिंग को फिर से CPC नेता के तौर पर चुना है. CPC की कांग्रेस की बैठक पांच साल में एक बार होती है. इसी बैठक में उन्हें कार्यकाल सौंपने का फैसला किया गया है.

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माओत्से तुंग का जिनपिंग ने तोड़ा रिकॉर्ड

शी जिनपिंग, कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग के बाद लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए चुने गए पहले नेता हैं. चीनी संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (NPC) ने शुक्रवार को प्रत्याशित रूप से शी जिनपिंग के तीसरे कार्यकाल को मंजूरी दी. एनपीसी को सीपीसी के फैसलों पर आंख मूंदकर मुहर लगाने के कारण अकसर रबर स्टांप पार्लियामेंट कहा जाता है. जिनपिंग के ताउम्र चीन पर हुकूमत करने की संभावना जताई जा रही है.

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भारत पर शी जिनपिंग के कार्यकाल का कैसा होगा असर?

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव जारी है. साल 2020 में जब पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच झड़प हुई थी, तब से ही हालात बद से बदतर हो गए थे. शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीनी सेना की ताकत बढ़ी है. दक्षिण चीन सागर और उन इलाकों में जहां चीन भारत के साथ अपनी सीमाएं साझा करता है, वहां बेहद तनाव है. चीन के साथ भारत के रिश्ते पाकिस्तान जैसे ही हैं. शी जिनपिंग भी भारत के लिए मुसीबत ही पैदा कर रहे हैं.

शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब आमने-सामने होते हैं तब कूटनीतिक स्तर पर दोनों के बीच बेहतर संवाद होता है लेकिन यह सच है कि चीन भरोसे के काबिल नहीं है. भारत और चीन की प्रवृत्ति में ही अंतर है. एक तरफ शी जिनपिंग की सोच विस्तारवादी और तानाशाही के करीब है, वहीं भारत एक धुर लोकतांत्रिक देश है. एशिया में चीन को टक्कर देना वाला इकलौता देश भारत है. चीन की जगह पश्चिमी देशों का ध्यान अब भारत पर है और वे भारत को मजबूत भागीदार मानते हैं. इन सभी समीकरणों को बदलने की कोशिश शी जिनपिंग कर रहे हैं.

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