चीन की कोरोना वैक्सीन निकली "फालतू", लगाने के बाद भी नहीं हो रहा कोई असर

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Dec 07, 2022, 09:33 PM IST

व्यापार बढ़ाने के लिए चीन ने डाटा से छेड़छाड़ कर कोरोना से लड़ने के लिए सिनोवैक वैक्सीन को बताया था बेहतर. सच्चाई सामने आने पर देशों ने बदल ली वैक्सीन

डीएनए हिंदी: कोरोना महामारी के बीच चीन की कोरोना वैक्सीन (Coronavaccine) सिर्फ उसी के लिए नहीं ​बल्कि दुनिया के दूसरे कई देशों के लिए भारी बन गई. चीन द्वारा कोरोना को थामने के लिए बनाई गई, वैक्सीन इस पर बेअसर साबित हुई. यही वजह है कि चीन में कोरोना थमने का नाम नहीं ले रहा है. चीन ने फाइजर और मॉडर्ना के इस्तेमाल को हतोत्साहित किया था. इसकी जगह पर सिनोवैक वैक्सीन को बढ़ावा दिया था, लेकिन यह वैक्सीन बेअसर साबित हुई. इसे बुरी दुनिया में समस्या पैदा हुई है. 

कोरोना से मात्र 61 प्रतिशत सुरक्षा दे रही चीन की सिनोवैक 

समाचार आउटलेट सिंगापुर पोस्ट के अनुसार, हाल में सामने आंकड़ों की मानें तो चीन की कोरोना से लड़ने के लिए बनाई गई सिनोवैक इसके खिलाफ मात्र 61 प्रतिशत ही काम कर सकती है. अस्पताल में भर्ती कोविड मरीजों के लिए 55 प्रतिशत कारगार है. वहीं फाइजर और मॉडर्ना की बात करें यह कोविड से 90 प्रतिशत की सुरक्षा प्रदान करती हैं. रिपोर्ट का दावा है कि जिस समय विश्वक निर्माता कोरोना को खत्म करने के लिए टीके तैयार करने पर ध्यान दें रहे थे. तब चीत एमआरएनए टीकों को के खिलाफ षड़यंत्र करने में व्यस्त था. 

रिसर्च सामने आने पर लोगों की बढ़ी चिंता, इंडोनेशिया ने भी बदला बयान

चीन के कोरोना के खिलाफ बनी सिनोवैट टीकों के परिणाम सामने आने पर लोगों ने इसे खारिज करना शुरू कर दिया. रिपोर्ट देखकर लोगों की चिंताएं बढ़ गई. चीन के अंदर भी विवाद खड़ा हो गया, जिसके बाद चीन को अपनी विवादास्पद शून्य कोविड नीति लानी पड़ी. तुर्की भी चीन द्वारा तैयार सिंकोवैक बायोटेक द्वारा बनाए गए टीकों का इस्तेमाल किया, लेकिन इनके बेअसर होने पर ​तुर्की ने भी इनका इस्तेमाल बंद कर दिया. वहीं इंडोनेशिया ने भी दिसंबर 2020 में चीनी टीकों को कोरोना से लड़ने के लिए 97 प्रतिशत प्रभावशाली बताया था, लेकिन एक साल बाद ही इंडोनेशिया ने 2021 में पलटी मार दी. उन्होंने कहा कि चीन की सिंकोवैक बायोटेक कोरोना से लड़ने में मात्र 65 प्रतिशत क्षमता है. 

इन सभी देशों ने बंद किया था चीनी टीकों का इस्तेमाल

कोरोना के खिलाफ शुरुआत में इंडोनेशिया, थाईलैंड, तुर्की, ब्राजील और मलेशिया ने चीनी सिंकोवैक बायोटेक का इस्तेमाल किया, लेकिन सभी इसे बदल दिया. इंडोनेशिया से लेकर थाईलैंड व अन्य देशों ने चीनी टीकों को भी खारिज कर दिया. हालांकि इसके बाद एस्ट्राजेनेका के टीकों का इस्तेमाल किया गया. वहीं हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए इन देशों ने मॉडर्ना टीकों का लगवाया. मलेशिया ने भी चीनी टीकों को बंद कर फाइजर के टीकों कोक इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. 

चीन ने रिपोर्ट के साथ की छेड़छाड़ 

खबरों की मानें तो चीन ने डेटा के साथ छेड़छाड़ का दूसरे देशों को बरगलाकर अपने टीकों को बेहतर बताया, ताकि दूसरे देश उसके टीकों इस्तेमाल करें. हालांकि जब मौतों का आंकड़ा बढ़ा तो चीनी का टीकों लेकर बोला गया झूठ सामने आया गया.

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