नए ससंद भवन में 'सेंगोल' स्थापित करने को लेकर रार, BJP ने बताई इसकी खास अहमियत, कांग्रेस बोली दिखाएं सबूत

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: May 26, 2023, 07:12 PM IST

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New Parliament Sengol: कांग्रेस ने कहा कि पीएम मोदी और उनकी वाह-वाह करने वाले लोग इस रस्मी सेंगोल को राजनीतिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.

डीएनए हिंदी: नए संसद भवन की उद्घाटन लेकर विवाद थमा नहीं था कि अब राजदंड यानी सेंगोल (Golden Sceptre Sengol) को लेकर कांग्रेस और बीजेपी की बीच तकरार शुरू हो शुरू हो गई है. दरअसल, केंद्र सरकार ने ऐलान किया है कि पीएम नरेंद्र मोदी 28 मई को उद्घाटन के समय राजदंड यानी सेंगोल को संसद भवन में स्थापित करेंगे, जिसे 15 अगस्त 1947 की आजादी की रात पंडित जवाहर लाल नेहरू की सौंपा गया था. कांग्रेस ने बीजेपी के इस दावे पर सवाल उठाए हैं.

कांग्रेस ने शुक्रवार को दावा किया कि इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है जिससे यह साबित होता हो कि लॉर्ड माउंटबेटन, सी राजगोपालाचारी और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सेंगोल को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत को सत्ता हस्तांतरित किए जाने का प्रतीक बताया हो. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी वाह-वाह करने वाले लोग इस रस्मी सेंगोल को तमिलनाडु में राजनीतिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.

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सेंगोल को लेकर क्या बोली बीजेपी? 
बीजेपी ने गुरुवार को आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने पवित्र राजदंड यानि सेंगोल को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को उपहार में दी गई ‘सोने की छड़ी’ कहकर उसे संग्रहालय में रख दिया और हिंदू परंपराओं की अवहेलना की. चांदी से निर्मित और सोने की परत वाले इस ऐतिहासिक ‘राजदंड’ को 28 मई को नए संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जाएगा. उसी दिन पीएम मोदी द्वारा नए संसद भवन का लोकार्पण किया जाएगा.

कांग्रेस ने मांगा सबूत
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, "क्या यह कोई हैरानी की बात है कि नए संसद भवन को व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी के फर्जी विमर्श से सुशोभित किया जा रहा है? भाजपा और आरएसएस का इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का रुख एक बार फिर 'अधिकतम दावा, न्यूनतम साक्ष्य' के साथ बेनकाब हो गया है. उन्होंने कहा, "राजदंड की परिकल्पना तत्कालीन मद्रास में एक धार्मिक प्रतिष्ठान ने की थी और इसे मद्रास शहर में तैयार किया गया था. इसे अगस्त 1945 में जवाहर लाल नेहरू को प्रस्तुत किया गया था." उन्होंने दावा किया कि इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि लॉर्ड माउंटबेटन, सी राजगोपालाचारी और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ‘राजदंड’ को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत को सत्ता हस्तांतरित किये जाने का प्रतीक बताया हो.

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कांग्रेस को भारतीय संस्कृति से इतनी नफरत क्यों- शाह
गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर नए संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष के आसन के निकट स्थापित किए जाने वाले रस्मी सेंगोल के महत्व को कमतर करके चलते समय सहारा देने के काम आने वाली छड़ी बना देने का आरोप लगाया और सवाल किया कि उसे भारतीय संस्कृति से इतनी नफरत क्यों है? नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच जारी वाकयुद्ध के बीच शाह ने कहा कि कांग्रेस को अपने व्यवहार पर ‘मनन’ करने की आवश्यकता है.

उन्होंने पार्टी के इस दावे की निंदा की कि ‘राजदंड’ के 1947 में ब्रिटेन द्वारा भारत को सत्ता सौंपे जाने का प्रतीक होने का कोई उदाहरण नहीं है. कांग्रेस पार्टी भारतीय परंपराओं और संस्कृति से इतनी नफरत क्यों करती है? तमिलनाडु के एक पवित्र शैव मठ ने भारत की स्वतंत्रता के प्रतीक के तौर पर पंडित (जवाहरलाल) नेहरू को एक पवित्र राजदंड दिया गया था, लेकिन इसे ‘चलते समय सहारा देने वाली छड़ी’ की तरह बताकर किसी संग्रहालय में भेज दिया गया.’ शाह ने कहा, ‘अब कांग्रेस ने एक और शर्मनाक अपमान किया है. पवित्र शैव मठ थिरुवदुथुराई आदिनम ने भारत की स्वतंत्रता के समय राजदंड के महत्व के बारे में स्वयं बताया था.’

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