डीएनए हिंदी: डेनमार्क के कब्जे वाले ग्रीनलैंड में 60 के दशक में 13 साल की लड़कियों को वहां की आबादी कंट्रोल करने के लिए काफी दुख सहना पड़ा है. डेनमार्क के डॉक्टरों ने स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और मूल आबादी को रोकने के लिए ग्रीनलैंड की इनुइत समूह की महिलाओं में गर्व निरोधक डिवाइस (IUS) को लगाया, ताकि वे बच्चे को जन्म न दे पाएं. कथित तौर पर कुछ महिलाओं ने इसके लिए अपनी सहमति दी.
पिछले हफ्ते डेनमार्क के स्वास्थ्य मंत्री मैग्नस ह्यूनिक ने घोषणा की कि घोटाले की जांच होगी. उन्होंने कहा कि वह प्रभावित कुछ महिलाओं से मिले हैं. उन्होंने कहा, "शारीरिक और भावनात्मक रूप से उन्होंने जो दर्द अनुभव किया है, वह आज भी है."
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ये मामला तब लोगों के संज्ञान में आया जब राष्ट्रीय प्रसारक DR के दो पत्रकारों ने एक पॉडकास्ट Spiralkampagnen के दौरान इसकी चर्चा की. आईयूडी डालने का अभियान कोई रहस्य नहीं था लेकिन इनुइट महिलाओं के बोलने में दशकों लग गए. हालांकि, अब यह मामला राजनीतिक मुद्दा बन गया.
ऐसा बताया जाता है कि 4,500 महिलाओं और लड़कियों में आईयूडी लगाए गए. लोग इसके पीछे का कारण सीधे तौर पर पितृसत्तात्मक, नस्लवादी भावना बता रहे हैं. हालांकि, परिवार नियोजन के जर्नल के साल 1972 के अंक में इसे एक महान 'सफलता' के रूप में सराहा गया था.
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उल्लेखनीय है कि 1953 में ग्रीनलैंड डेनमार्क का अभिन्न अंग बन गया था. तब डेनमार्क ने बुनियादी ढांचे और सामाजिक सेवाओं के आधुनिकीकरण में भारी निवेश करना शुरू कर दिया. डेनिश श्रमिक (ज्यादातर पुरुष) विरल आबादी वाले क्षेत्र में आ गए. कुछ ही वर्षों में ग्रीनलैंड की जन्म दर दुनिया में सबसे अधिक थी आधी आबादी 16 साल से कम उम्र की थी और 25% बच्चे विवाह से पहले पैदा हुए थे.
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