DNA TV Show: खालिस्तानी आतंकवाद दिख रहा बौखलाहट में, काम कर रहा कनाडा के झूठ पर भारत की सख्ती का दांव

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Oct 03, 2023, 11:32 PM IST

DNA TV SHOW 

DNA TV Show: खालिस्तानी आतंकियों और समर्थकों पर भारत की सख्ती से दुनियाभर के खालिस्तान समर्थक बौखला गए हैं. खालिस्तानी आतंकियों के इशारे पर खालिस्तान समर्थक भारतीय उच्चायुक्तों को अलग-अलग देशों में टारगेट कर रहे हैं.

डीएनए हिंदी: कनाडा के साथ जारी विवाद के बीच अब स्कॉटलैंड में खालिस्तान समर्थकों ने भारतीय अधिकारी के साथ हाल में ही दुर्व्यवहार किया गया. UK में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी को स्कॉटलैंड में एक गुरुद्वारे में जाने से रोका गया. घटना के पीछे कट्टरपंथी ब्रिटिश सिख कार्यकर्ताओं का हाथ बताया गया. यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच तनाव चरम पर है. ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि भारत सरकार कनाडा की धरती पर खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल थी. आइए जानते हैं कि कनाडा पर निज्जर वाला दांव उल्टा कैसे पड़ा और भारत ने किस तरह से कनाडा को झटका दिया. 

खालिस्तानी आतंकियों और समर्थकों पर भारत की सख्ती से दुनियाभर के खालिस्तान समर्थक बौखला गए हैं. खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर आरोप लगाने वाले कनाडा को भी भारत ने अच्छा सबक सिखाया है. ऐसे में दुनिया के अलग-अलग देशों के खालिस्तानी विचारधारा वाले लोग, अब अपनी खीज़, भारत उच्चायुक्तों पर उतार रहे हैं.  स्कॉटलैंड के एक गुरुद्वारे में, भारतीय उच्चायुक्त के साथ कुछ खालिस्तानी समर्थकों ने अभद्रता की थी.  ग्लासगो शहर के गुरुद्वारे में 3 खालिस्तानी समर्थकों ने भारतीय उच्चायुक्त को अंदर जाने से रोक दिया था. माना जा रहा है कि खालिस्तानी आतंकियों के इशारे पर खालिस्तान समर्थक भारतीय उच्चायुक्तों को अलग-अलग देशों में टारगेट कर रहे हैं. ग्लासगो की घटना इसका ही एक उदाहरण है. हालांकि इस मामले में ग्लासगो के गुरु ग्रंथ साहिब गुरुद्वारा की समिति ने भारतीय उच्चायुक्त से व्यक्तिगत रूप से माफी मांगी है. यही नहीं बल्कि उनसे दोबारा गुरुद्वारे में आने की अपील की है. फिलहाल इस मामले में 2 खालिस्तानी समर्थकों की पहचान की जा चुकी है. 

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भारतीय राजदूतों को कर रहे टारगेट 

खालिस्तानी आतंकियों के इशारे पर खालिस्तानी समर्थक ना सिर्फ भारतीय उच्चायुक्तों को निशाने पर ले रहे हैं, बल्कि वो भारतीय राजदूतों को भी टारगेट कर रहे हैं. अब एक बार फिर से खालिस्तानी समर्थकों ने इग्लैंड के भारतीय उच्चायोग के सामने प्रदर्शन किया. खालिस्तानी समर्थक झंडे लेकर भारतीय उच्चायोग का घेराव करने पहुंचे थे. खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर पुलिस प्रशासन पहले से ही तैयार थी, इसलिए खालिस्तानी समर्थकों को भारतीय उच्चायोग से काफी दूर रखा गया था. इस दौरान खालिस्तानी समर्थक उग्र थे, और भारत विरोधी नारेबाजी करके वो वापस चले गए. 

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 बौखलाए हुए हैं खालिस्तानी आतंकी

खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से ही खालिस्तानी आतंकी बौखलाए हुए हैं. खालिस्तान समर्थकों को लगा था कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर दबाव बनाकर संसद में भारत के खिलाफ हत्या का आरोप लगाकर, भारत को दुनिया में आरोपी साबित कर लेंगे लेकिन यह दांव उनपर ही भरी पड़ गया. भारत ने कनाडा पर ऐसा पलटवार किया, जिससे कनाडा को झुकना पड़ा. खालिस्तानी आतंकियों और समर्थकों को जो जस्टिन ट्रूडो उम्मीदें से थी, वो टूट गईं. यही नहीं खालिस्तानी विचारधारा से अलग, जस्टिन ट्रूडो तो भारत के समर्थन में बयान देने लग गए. इस बात से खालिस्तानी आतंकी और ज्यादा परेशान हो गए है. यही वजह रही कि खालिस्तानी आतंकी संगठन 'Sikhs For Justice' के आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने बड़े प्रदर्शन की चेतावनी दी थी. जिसमें भारतीय उच्चायुक्तों को टारगेट करने की बात कही थी. यही वजह है कि भारतीय विदेशमंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका में इस मुद्दे को उठाया था. उन्होंने साफ लहजे में ये बात कही थी कि कनाडा खालिस्तान समर्थकों को पनाह दे रहा है और भारतीय उच्यायोग और उच्चायुक्तों को खालिस्तानी आतंक का खतरा है. 

सच साबित हो रही एस जयशंकर की बात 

भारतीय उच्चायुक्तों को टारगेट करने वाली जिस खतरे की बात एस जयशंकर ने कही थी, खालिस्तानी आतंकी अब वही कर रहे है. आतंकियों के इशारे पर भारतीय उच्चायोगों और उच्चायुक्तों को टारगेट किया जा रहा है. ये पहली बार नहीं है कि खालिस्तानी समर्थकों ने अपने आकाओं के इशारे पर भारतीय उच्चायोग को निशाना बनाया है. इससे पहले 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख अमृतपाल को जब गिरफ्तार करने की कोशिशें चल रही थीं, तब खालिस्तानी समर्थकों ने भारतीय उच्चायोग के बाहर हिंसक प्रदर्शन किया था. इस मामले में भारत सरकार ने गंभीर कदम उठाए थे. NIA ने इस मामले से जुड़े कई वीडियोस इकट्ठे करके आरोपियों के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया हुआ है.

भारत ने कनाडा सरकार को दिए झटके

 खालिस्तानी विचारधारा को लेकर भारत किसी को भी बख्शने के मूड में नहीं है. भारत सरकार ने केवल खालिस्तानी समर्थकों को ही नहीं, कनाडा सरकार को भी इस मामले में कई झटके दिए. ताकतवर देश होने का दम भरने वाले कनाडा को पहली बार भारत की शक्ति का अहसास हुआ. भारत ने पहले तो कनाडा के वरिष्ठ राजदूत को वापस भेज दिया, फिर कनाडा के नागरिकों को भारतीय वीज़ा देना बंद कर दिया. उसके बाद खालिस्तानी खतरे को देखते हुए अपने नागरिकों को सावधान रहने की एडवाइजरी जारी कर दी थी. यही नहीं भारत ने कनाडा में बसे खालिस्तानी आतंकियों का काला चिट्ठा, पूरी दुनिया को भेजकर, कनाडा की असलियत सबको बता दी. इन कदमों के बाद जस्टिन ट्रूडो पीछे हट गए लेकिन भारत अब भी इस मामले को लेकर कनाडा पर सख्त है. 

भारत ने कनाडाई राजदूतों को कनाडा जाने का दिया निर्देश 

भारत ने कनाडा से अपने 41 राजदूतों को वापस बुलाने के लिए कहा है. माना जा रहा है कि खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के बाद भारत का ये एक और मजबूत दांव है. भारत ने कनाडा के इकतालिस राजदूतों को देश छोड़ने के लिए 10 अक्टूबर यानी 1 हफ्ते का समय दिया है. यही नहीं इस डेडलाइन के बाद कनाडा के जो राजदूत भारत में बचे रह जाएंगे, उनको दी जाने वाली राजनयिक प्रतिरक्षा बंद कर दी जाएगी. भारत में कनाडा के 62 राजदूत काम करते हैं. 10 अक्टूबर के बाद कनाडा के केवल 21 राजदूत ही भारत में रह जाएंगे. 

राजदूतों को मिलती है यह छूट 

1) राजदूतों पर कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है.

2) राजदूतों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. 

3) अपराध करने की स्थिति में राजदूतों को उसके देश वापस भेजा जाता है, उनके देश में आगे की कार्रवाई होती है. 

4) राजदूतों के घरों की तलाशी नहीं की जा सकती. 

5) राजदूतों को किसी केस में गवाह नहीं बनाया जा सकता है. 

कनाडा के साथ राजदूतों को वापस भेजने वाली कूटनीति में भारत, अभी तक भारी पड़ा है. खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के मामले में सबसे पहले कनाडा ने भारतीय राजदूत पर आरोप लगाकर उन्हें भारत भेजा था. जिसके जवाब में भारत ने भी कनाडा के राजदूत को वापस भेज दिया था. अब भारत ने दो कदम आगे बढ़ते हुए, कनाडा को एक बड़ा झटका दे दिया. भारतीय विदेश मंत्रालय ने दोनों देशों के राजदूतों की संख्या बराबर करने के लिए कहा था.  Vienna Convention के नियमों के तहत दोनों देशों में राजदूतों की संख्या समान होनी चाहिए. भारत ने इसी नियम के तहत कनाडा को अपने 41 राजदूतों को वापस जाने के निर्देश दिए हैं. 
 

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