Google ने किया Anne Frank को याद, 13 साल की वो लड़की जिसकी डायरी बनी दुनिया की सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताब

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 25, 2022, 08:52 AM IST

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The Diary of a young girl: यहूदी-जर्मन डायरी लेखक ऐनी फ्रैंक ने अपनी ये डायरी 13 साल की उम्र में लिखनी शुरू की थी. 15 साल की उम्र तक लगातार दो साल वह यह डायरी लिखती रहीं. 75 साल पहले आज ही के दिन ये डायरी प्रकाशित हुई थी.

डीएनए हिंदी: ''मुझे लगता है कि बाद में ना तो मैं और ना ही कोई और 13 साल की एक स्कूल जाने वाली बच्ची की लिखी इन बातों को पढ़ने में दिलचस्पी लेगा. '' ''मेरी बिल्ली शायद एकमात्र जीवित प्राणी होगी जिसे मैं अलविदा कहूंगी.'' ''हां.. इतना सब होने के बाद भी मुझे यकीन है कि लोग दिल से बुरे नहीं होते हैं. ''  ये बातें एक 13 साल की लड़की ने अपनी डायरी में लिखी थीं. उसे लगता था कि इन बातों को कोई नहीं पढ़ेगा, मगर उसकी लिखी ये बातें जब किताब की शक्ल में आईं तो ये किताब दुनिया की सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताब बनी. आज इसी किताब के प्रकाशन को 75 साल पूरे हो गए हैं. इस मौके पर गूगल ने डूडल बनाकर एनी फ्रैंक की डायरी के कुछ हिस्सों को खूबसूरत स्लाइडशो पेश किया है. 

13 साल की उम्र में लिखी थी डायरी
यहूदी-जर्मन डायरी लेखक ऐनी फ्रैंक ने अपनी ये डायरी 13 साल की उम्र में लिखनी शुरू की थी. 15 साल की उम्र तक लगातार दो साल वह यह डायरी लिखती रहीं. 75 साल पहले आज ही के दिन ये डायरी प्रकाशित हुई थी. गूगल ने अपने डूडल के जरिए ऐनी फ्रैंक की डायरी कुछ हिस्सों को स्लाइड शो में दिखाया है, जिनसे पता चलता है कि उस छोटी सी बच्ची ने नाजियों का किस तरह का आतंक देखा था और उसे लेकर उसके मन में क्या विचार थे.इस डूडल को गूगल की आर्ट डायरेक्टर थोका मायर ने बनाया है. 

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कौन थीं ऐनी फ्रैंक
ऐनी फ्रैंक का जन्म 12 जून 1929 को फ्रैंकफर्ट जर्मनी में हुआ था. पहले विश्वयुद्ध में ही जर्मनी बर्बाद हो चुका था. इसके लिए हिटलर ने यहूदियों को जिम्मेदार ठहराया और ये कह दिया कि यहूदी जहां भी मिलें उन्हें मार दो. इसी के चलते ऐनी फ्रैंक का परिवार जर्मनी छोड़कर नीदरलैंड आ गया. इसके बाद दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया. इसके बाद हालात बदतर होते गए. फ्रैंक के परिवार को तब एम्सटर्डम वाले घर के पिछले हिस्से में रहना पड़ा. 1942 से 1944 तक दो साल यह परिवार यहीं रहा. इसी दौरान ऐनी फ्रैंक ने यह डायरी लिखी. अगस्त 1944 में नाजी गुप्त सेना ने फ्रैंक परिवार को ढूंढ लिया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

इस दौरान ऐनी और उनकी बड़ी बहन को मार्गेट फ्रैंक को नाजी बलों ने यातना शिविर में भेज दिया जहां एक महीने बाद ही उनकी मौत हो गई.उस वक्त ऐनी सिर्फ 15 साल की थीं. ये डायरी उनके पिता ने सन् 1947 में प्रकाशित करवाई. इसके बाद से अब तक 67 भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है. इसकी 3 करोड़ से ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं. 

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