Sri Lanka Crisis: गोटाबाया राजपक्षे मालदीव से भी भागे, अब सिंगापुर में ली है शरण?

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jul 14, 2022, 03:28 PM IST

राजपक्षे के मालदीव छोड़ने की वजह का खुलासा नहीं हुआ है

Gotabaya Rajapaksa In Sri Lanka: श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे इस वक्त सिंगापुर हैं. राजपक्षे के बारे में मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि उन्होंने मालदीव की राजधानी माले में शरण ले रखी है. उनके श्रीलंका में शरण लेने के पीछे की वजहों का अभी खुलासा नहीं हुआ है.

डीएनए हिंदी: श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के देश छोड़कर मालदीव भाग जाने की खबर थी. हालांकि, अब नई जानकारी आई है कि राजपक्षे ने मालदीव नहीं बल्कि सिंगापुर में शरण ले रखी है. बीबीसी की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सैन्य जहाज से राजपक्षे माले पहुंचे थे. अब नई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि राजपक्षे इस वक्त सिंगापुर में है. कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि राजपक्षे परिवार के साथ बुधवार देर रात विशेष विमान से सिंगापुर पहुंचेंगे. फिलहाल आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता के बीच कोलंबो समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन जारी है. रानिल विक्रमसिंघे को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया है. 

Rajapaksa Family ने अलग-अलग देशों मे ली है शरण? 
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, राजपक्षे परिवार के ज्यादातर सदस्यों ने देश छोड़ दिया है. जनता के गुस्से और विद्रोह को देखते हुए राजपक्षे परिवार के सदस्यों अलग-अलग देशों में शरण ली है. खबर है कि राजपक्षे के भाई और पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे इस वक्त अमेरिका में है.  

श्रीलंका अपनी आजादी के बाद देश के सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. पिछले सप्ताह प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया था. बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति ने सीक्रेट बंकर के जरिए भागकर अपनी जान बचाई है. 

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रानिल विक्रमसिंघे बने कार्यवाहक राष्ट्रपति
श्रीलंका के संविधान के अनुसार, यह प्रावधान है कि जब राष्ट्रपति का पद खाली होता है तो पीएम को बतौर कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया जाता है. संसद सदस्यों में से अगले राष्ट्रपति का चुनाव जब तक नहीं हो जाता तब तक कार्यवाहक राष्ट्रपति ही सारी जिम्देदारी निभाता है. देश में नए राष्ट्रपति के लिए 20 जुलाई को चुनाव होगा.

श्रीलंका के संविधान में यह प्रावधान है कि कार्यवाहक राष्ट्रपति अधिकतम 30 दिनों तक ही अपनी भूमिका का निर्वाह कर सकता है. विक्रमसिंघे की पार्टी UNP के पूर्व सदस्य साजिथ प्रेमदास ने भी राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर अपनी दावेदारी पेश की है. प्रेमदास का दावा है कि विपक्षी दल उनके नाम पर सहमत है. 

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