Hero Rats: भूकंप आया तो चूहे बनेंगे 'कमांडो', पीठ पर कैमरा लादकर मलबे में घुसेंगे और बनाएंगे वीडियो

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 08, 2022, 11:12 AM IST

चूहों को दी जा रही है खास ट्रेनिंग

Hero Rats: अफ्रीका में एक खास प्रजाति के चूहों को इस तरह की ट्रेनिंग दी जा रही है कि वे भूकंप के बाद मलबे में घुसकर लोगों की मदद कर सकेंगे.

डीएनए हिंदी: भूकंप की घटनाओं के बाद बिल्डिंग गिरने की वजह से अक्सर लोग मलबे में दब जाते हैं. लोगों को बचाने के लिए राहत और बचाव कार्य के लिए मलबा हटाना मुश्किल काम होता है. मलबा हटाने तक कई बार लोगों की जान चली जाती है. इसी को ध्यान में रखते हुए अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने चूहों को ट्रेनिंग देना शुरू किया है. ये चूहे भूकंप की घटनाओं के बाद मलबे में आसानी से घुस सकेंगे. इनकी पीठ पर टंगे बैग में कैमरा होगा जिसकी मदद से मलबे के भीतर का वीडियो बन जाएगा और अंदर की जानकारी मिल सकेगी.

अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने अपोपो नाम के एक एनजीओ के साथ मिलकर यह खास प्रयोग शुरू किया है. इसके तहत चूहों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जा रही है. इस रिसर्च पर काम कर रहीं डॉ. डोना कीन कहती हैं कि इस प्रोजेक्ट के लिए अब तक कुल 7 चूहों को ट्रेनिंग दी गई है. अच्छी बात यह है कि ये चूहे दो हफ्ते में काफी चीजें सीख भी गए हैं.

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ट्रेनिंग और काम में बेहद खास हैं ये चूहे
एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये चूहे अफ्रीका में पाई जाने वाली पाउच्ड रैट्स प्रजाति के हैं. इनके काम का महत्व देखते हुए इन्हें 'हीरो रैट्स' नाम रखा गया है. इस प्रोजेक्ट को चुनने के पीछे की वजह यह है कि ये चूहे आसानी से सीखते हैं और इन्हें ट्रेनिंग देना भी काफी आसान होता है. इसके अलावा, इनकी सूंघने की क्षमता काफी ज्यादा होती है.

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यह भी बताया गया है कि ये चूहे छह से आठ साल तक जिंदा रहते हैं तो इन पर निवेश करना भी फायदेमंद होता है. ये बीमारियों से भी सुरक्षित रहते हैं और छोटी-छोटी जगहों पर आसानी से घुस जाते हैं.

बैग में कैमरा, माइक्रोफोन और लोकेशन ट्रैकर ले जाएंगे चूहे
इस प्रोजेक्ट में चूहों की पीठ पर एक बैग होगा. इस बैग में माइक्रोफोन, वीडियो कैमरा और लोकेशन ट्रैकर रखा होगा. भूकंप के बाद मलबे के बीच ये चूहे आसानी से घुस सकेंगे और मलबे में दब लोगों की जानकारी आसानी से मिल सकेगी. इसके अलावा, उन लोगों से बातचीत भी की जा सकेगी जिससे हालात की सही जानकारी हो सके.

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अभी के लिए तो इन चूहों को नकली मलबों में ट्रेनिंग दी जा रही है लेकिन जल्द ही इन्हें तुर्की भेजा जाएगा. तुर्की में भूकंप की कई घटनाएं होने की वजह से वहां इन चूहों का सही इस्तेमाल किया जा सकेगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि चूहों को ऐसी ट्रेनिंग भी दी जा रही हैं कि वे टीबी जैसी बीमारी का पता सूंघकर ही लगा सकेंगे.

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