नहीं रुक रहा Pakistan में हिन्दू लड़कियों पर अत्याचार, 15 दिनों में चौथा अपहरण

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Oct 11, 2022, 02:22 PM IST

पाकिस्तान में हिन्दू लड़की का अपहरण

पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों के अपहरण का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. सिंध में एक और लड़की अपहरण किया गया है...

डीएनए हिन्दी: पाकिस्तान में हिन्दुओं (Minorities in Pakistan) पर अत्याचार का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. अब सिंध प्रांत के हैदराबाद शहर से एक हिन्दू लड़की का अपहरण कर लिया गया है. लड़की के माता-पिता ने बताया कि मेरी बेटी चंद्रा मेहराज (Chandra Mehraj) का अपहरण हैदराबाद के फतेह चौक इलाके से उस वक्त किया गया जब वह घर लौट रही थी. मामले की शिकायत थाने में दर्ज करवा दी गई है, लेकिन अपहृत लड़की का पता अभी तक नहीं चल पाया है. 

पाकिस्तान (Pakistan) में हाल ही के कुछ दिनों में हिन्दू लड़कियों के अपहरण का यह चौथा मामला है. इन लड़कियों को अपहृत कर जबरन इस्लाम कबूल करवाया जाता है. पाकिस्तान की यह तस्वीर बताती है कि वहां अल्पसंख्यकों के खिलाफ कितना अत्याचार हो रहा है.

पिछले 14 सितंबर को सिंध के ही नसरपुर इलाके से 14 साल की मीना मेघवाल नाम की लड़की का अपहरण कर लिया गया था. वहीं, मीरपुरखास कस्बे से लौटते वक्त एक अन्य लड़की का अपहरण कर लिया गया था. 

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मीरपुरखास में रवि कुर्मी नाम के एक हिन्दू व्यक्ति की पत्नी राखी का अपहरण कर लिया गया था. बाद में राखी का धर्मांतरण करवा कर उसकी शादी एक मुस्लिम शख्स से करवा दी गई. पाकिस्तान में पुलिस भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ कार्रवाई करती है. जब पुलिस से इस मामले की शिकायत की गई तो पुलिस ने कहा कि राखी ने अपनी मर्जी से इस्लाम कबूला है और अहमद चंडियो से शादी की है.

जून महीने में करीना कुमारी नाम की एक हिन्दू लड़की ने अदालत में बयान दर्ज करवाया था कि उसका अपहरण कर जबरन उसे मुसलमान बनवाया गया था और बाद में एक मुस्लिम लड़के से शादी करवा दी गई.

इसके पहले सतरन ओड, कविता भील और अनीता भील नाम की तीन हिन्दू लड़कियों के साथ भी ऐसी ही घटना हुई है.

यही नहीं मुस्लिम लड़कों के प्रेम संबंधों से इनकार करने पर हिन्दू लड़कियों की हत्या भी की जा रही है. 21 मार्च को पूजा कुमारी नाम की लड़की की घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई. उसका कसूर सिर्फ इतना था कि उसने एक मुस्लिम लड़के शादी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.

गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में पाकिस्तान की एक संसदीय समिति ने देश में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ लाए गए एक विधेयक को खारिज कर दिया था. तत्कालीन धार्मिक मामलों के मंत्री नूरुल हक कादरी ने कहा था कि जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने के लिए यह सही वक्त नहीं है. पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्री ने यहां तक दावा किया था कि जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने से देश में दंगे फैल सकते हैं. इससे अल्पसंख्यकों का ज्यादा नुकसान हो सकता है.

ध्यान रहे कि 2020 में पाकिस्तान की कुल आबादी में अल्पसंख्यकों की आबादी महज 3.5 फीसदी थी. इसमें हिन्दू, ईसाई, सिख और अन्य अल्पसंख्यक शामिल थे.

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