डीएनए हिंदी: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) में उस प्रस्ताव पर वोटिंग में शिरकत नहीं की, जिसमें संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंधित देशों को दी जाने वाली मानवीय सहायता को छूट दिए जाने का प्रावधान किया गया है. भारत ने 15 देशों की सुरक्षा परिषद का मौजूदा अध्यक्ष होने के बावजूद पाकिस्तान के कारण इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए वोटिंग में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया. भारत ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना साफतौर पर कहा कि इससे पड़ोस समेत सभी जगह प्रतिबंधित आतंकी संगठनों को लाभ होगा, जिन्हें इसकी आड़ में फंड जुटाने और आतंकी भर्ती करने की पूरी छूट मिल जाएगी. सुरक्षा परिषद में अमेरिका और आयरलैंड की तरफ से पेश इस प्रस्ताव पर शुक्रवार को वोटिंग की गई. इस प्रस्ताव को पेश करते समय वॉशिंगटन ने उम्मीद जताई थी कि यह अनगिनत जिंदगियों को बचाने वाला कदम साबित होगा.
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वोटिंग से अकेले भारत ही रहा दूर
सुरक्षा परिषद में 15 देश हैं, जिनमें से 14 ने अमेरिका की तरफ से पेश प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया. भारत वोटिंग से दूर रहने वाला परिषद का अकेला सदस्य देश रहा. प्रस्ताव में मानवीय सहायता की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए फंड पेमेंट, अन्य फाइनेंशियल एसेट्स, इकोनॉमिक रिसोर्सेज और आवश्यक सामान व सेवाओं को प्रतिबंधों से छूट दिए जाने का प्रावधान किया गया है. प्रस्ताव में कहा गया है कि इस छूट से सुरक्षा परिषद या उसकी प्रतिबंध लगाने वाली समिति की तरफ से संपत्तियों को फ्रीज करने के आदेश का उल्लंघन नहीं होगा.
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भारत ने वोटिंग से हटते समय क्या कहा
सुरक्षा परिषद की अध्यक्ष और यूएन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रूचिरा कांबोज (Ruchira Kamboj) ने वोटिंग से हटने को लेकर भारतीय पक्ष पेश किया. उन्होंने कहा, साबित हो चुके उदाहरणों के आधार पर हमारी चिंता है कि आतंकी समूह इस तरह की मानवीय छूट का भरपूर लाभ उठाते हैं और 1267 सेंक्शन कमेटी समेत तमाम प्रतिबंध व्यवस्थाओं का मजाक बनाते हैं.
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कांबोज ने इस दौरान पाकिस्तान और उसकी धरती पर मौजूद आतंकी संगठनों का भी हल्का सा उदाहरण संदर्भ के तौर पर दिया. उन्होंने कहा, हमारे पड़ोस में भी इस परिषद (UNSC) की लिस्ट में शामिल संगठनों समेत ऐसे आतंकी समूहों के तमाम उदाहरण हैं, जो प्रतिबंधों को ठेंगा दिखाने के लिए खुद को मानवीय संगठन और नागरिक समाज समूह के तौर पर पेश करते हैं.
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पाकिस्तान में मौजूद हैं आतंकी संगठनों की तमाम नकली संस्थाएं
कांबोज ने आतंकी संगठनों के खुद को सामाजिक समूह दिखाने के हथकंडे को पेश करने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से जमात-उद-दावा (Jamaat-ud-Dawa) का उदाहरण दिया. JUD खुद को सामाजिक सहायता समूह बताता है, लेकिन वास्तव में वह कुख्यात आंतकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) के लिए मुखौटा संगठन के तौर पर काम करता है. इसके अलावा पाकिस्तान में फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (Falah-e-Insaniat Foundation) और अल रहमत ट्रस्ट (Al Rehmat Trust) जैसे कथित सामाजिक संगठन भी हैं. FIF के पीछे जहां JuD और LeT जैसे आतंकी संगठन हैं, वहीं अल रहमत का संचालन एक अन्य कुख्यात प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) करता है. कांबोज ने सुरक्षा परिषद के सदस्यों को कहा कि ये आतंकी संगठन मानवीय सहायता कार्यक्रम को फंड जुटाने और आतंकी भर्ती करने के लिए आड़ की तरह इस्तेमाल करते हैं.
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