डीएनए हिंदी: इंडोनेशिया की एक रेप पीड़िता की कहानी पूरी दुनिया में इस वक्त चर्चा में है. 4 महीने तक अस्पताल में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ने के बाद पीड़िता अब रिकवर कर रही हैं और एक आश्रय घर में हैं. सिती नाम की महिला ने बताया कि परिवार के ऊपर बहुत कर्ज था और इसलिए फेसबुक पर उसने नौकरी की पोस्ट डाली थी. जकार्ता में उसे एक परिवार में घरेलू सहायिका की नौकरी मिली लेकिन यहां से उसकी जिंदगी किसी बुरे सपने की तरह है. पीड़िता का कहना है कि उसे रोज मालिक बेरहमी से पीटते थे और वह भाग न जाए इसलिए जंजीरों से बांध देते थे. इसके बाद उसका कई बार रेप किया गया. जैसे-तैसे वह अपनी जान बचाकर भागने में कामयाब रही और चार महीने तक एक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा.
जंजीरों से बांधकर पिटाई, कुत्ते का पेशाब पिलाने का आरोप
समाचार एजेंसी एएफपी को दिए इंटरव्यू में उसने कहा, 'मैं अपने घर-परिवार की मदद करने के लिए जकार्ता नौकरी करने आई थी लेकिन अब मैं उन दिनों को याद भी नहीं करना चाहती हूं. मेरे मालिक बहुत क्रूर लोग थे. वो जबरन मुझे जंजीरों से बांध देते थे और मेरे साथ मारपीट करते थे. उनके घर रहने के दौरान मेरा कई बार रेप किया गया. मेरे ऊपर गर्म खौलता पानी फेंक दिया था. यहां तक किए जबरदस्ती अपने कुत्ते का पेशाब भी पिलाया.'
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महिला ने बताया कि मुझे इतनी बेरहमी से पीटा था कि मेरे शरीर की कई हड्डियां टूट गईं और आज मैं ठीक से अपने पैरों से चल भी नहीं पाती हूं. हालांकि सिती के साथ ऐसी बेरहमी करने वाली उसकी मालकिन, मालिक और घर की 6 और नौकरानियों को सिर्फ 4 साल की सजा हुई है. पुलिस ने सिती को रेप का केस अलग से दर्ज करने का निर्देश दिया है. पीड़िता का कहना है कि मैं अपने दोषियों को इतनी कम सजा मिलने से बहुत निराश हूं लेकिन मैंने न्याय की उम्मीद नहीं छोड़ी है.
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हालत बिगड़ने पर परिवार के पास आधी रात को भेजा
सिती ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि एक रोज मेरी बेरहमी से पिटाई की और मुझे भूखा भी रखा था. उसके बाद उन लोगों ने मुझे घर भेज दिया और जब मैं घर पहुंची तो मेरे माता-पिता मुझे पहचान नहीं पा रहे थे. मेरे शरीर के हर हिस्से पर चोट के निशान थे और मैं अपने साथ हुए हादसे के बारे में कुछ नहीं बोल पा रही थी. इंडोनेशिया में घरेलू कामगारों का शोषण बहुत आम है. अब तक वहां घरेलू सहायकों की सुरक्षा के लिए अलग से कोई कानून नहीं बनाया गया है.
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