डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभालने वाले हैं. वह ऐसे वक्त में यह पद संभालेंगे जब मिडिल ईस्ट में तनाव अपने चरम पर है. इजरायल और हमास का संघर्ष (Israel Hamas War) एक साल से ज्यादा वक्त से चल रहा है. दूसरी ओर ईरान के खिलाफ भी इजरायल (Israel Iran War) ने मोर्चा खोल रखा है. ट्रंप खुले तौर पर ईरान के लिए अपना सख्त रुख दिखाते रहे हैं. राष्ट्रपति का पद संभालने से पहले ही उन्होंने ऐलान कर दिया है कि वह तबाही का मंजर देखना चाहते हैं. ईरान के लिए मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में चुनौतियां और बढ़ती दिख रही है.
ईरान की तबाही देखना चाहते हैं डोनाल्ड ट्रंप?
डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार माइक इवांस के बयान ने पूरी दुनिया को सकते में डाल दिया है. इवांस ने अपने बयान में कहा कि ट्रंप चाहते हैं कि इजरायल 20 जनवरी से पहले निर्णायक कार्रवाई करे. इस बयान के मुताबिक, 'ट्रंप की मंशा है कि आने वाले 8 सप्ताह से पहले ही ईरान का काम तमाम हो जाए. इजरायल को पहले गाजा और फिर लेबनान के मामलों से निपट ले. इसके बाद अपना पूरा फोकस ईरान पर रखे.'
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ईरान की बर्बादी के लिए इजरायल को खुला समर्थन
ट्रंप के सलाहकार के बयान से माना जा रहा है कि वह ईरान की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बदहाल कर देना चाहते हैं. इसके अलावा, इजरायल के ईरान के सैन्य प्रतिष्ठानों और तेल कंटेरनरों पर हमले के लिए भी इजरायल को खुला समर्थन दे रहे हैं. अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी ट्रंप का रुख ईरान के लिए बेहद सख्त रहता था. हालांकि, ट्रंप ने जीत के बाद यह जरूर कहा है कि वह किसी भी तरह से युद्ध का समर्थन नहीं करते हैं. उनके बयानों से स्पष्ट लग रहा है कि ईरान के लिए आगे आने वाले दिन और भी चुनौतियों से भरे रहने वाले हैं.
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