क्या है पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून, जिसके चलते अदालत ने ईसाई महिला को दी सजा-ए-मौत

सुमित तिवारी | Updated:Sep 20, 2024, 04:28 PM IST

पाकिस्तान में एक बार फिर से ईशनिंदा के मामले में एक ईसाई महिला को मौत की सजा सुनाई गई है. इस्लामाबाद की एक आदालत ने ये फैसला सुनाया है. आइए जानते हैं क्या होता है ईशानिंदा कानून?

पाकिस्तान से बड़ी खबर सामने आ रही है. पड़ोसी मुल्क की एक अदालत ने ईशनिंदा के मामले में एक ईसाई महिला को मौत की सजा दी है. कोर्ट ने ये फैसला बृहस्पतिवार को सुनाया. अदालत ने यह फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर वह चाहे तो 30 दिन के भीतर ऊपरी अदालत में इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर सकती हैं. 

दरअसल मामला सितंबर 2020 का है. सितंबर 2020 में ईसाई महिला शौगात कैरन के खिलाफ ईशनिंदा के मामले में केस दर्ज किया गया था. कैरन पर आरोप है कि उन्होंने व्हाट्सऐप ग्रुप पर पैगंबर मोहम्मद के बारे में आपत्तिजनक सामग्री साझा की थी. पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून बेहद शख्त हैं. 

इनता ही पाकिस्तान में कई बार ईशनिंदा कानून के दुरुपयोग के मामले भी सामने आ चुके हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस्लामाबाद की एक विशेष अदालत के जज अफजल मजूका ने सुनवाई के दौरान ये फैसला सुनाया है. आदलत ने पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 295 सी के तहत ये फैसला सुनाते हुए कैरन पर 3 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया हैं. 

कैरन पैगंबर मोहम्मद और इस्लाम धर्म के अपमान के मामले में मृत्युदंड पाने वाली दूसरी ईसाई महिला हैं. कैरन के पहले आसिया बीबी को ईशनिंदा के मामले मौत की सजा दी गई थी. आसिया बीबी 8 साल तक जेल में बंद रही थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा की अध्यक्षता वाली पीठ ने उन्हें अक्टूबर 2018 में बरी कर दिया था.

ईशनिंदा कानून है क्या
इस तरह का कानून भगवान या धर्म के अपमान या निंदा से जुड़ा हुआ कानून है. कुछ देशों में ईशनिंदा को दंडनीय अपराध माना जाता हैं. कई देशों में इसके लिए मौत की सजा का भी प्रावधान है. दुनिया के 195 देशों में से 71 देशों में ईशनिंदा कानून है. भारत में इस तरह का अलग से कोई कानून नहीं है. लेकिन धारा 295 तहत धार्मिक स्थान को क्षति पहुंचाने की कोशिश में दो साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है. 

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