Iran-Israel War: इजरायल और ईरान में थी पहले जिगरी दोस्ती, जानें कैसे बने एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 02, 2024, 01:26 PM IST

ईरान और इजरायल के संबंधों का इतिहास जटिल रहा है. एक समय में ये दोनों देश एक-दूसरे के जिगरी दोस्त थे, लेकिन अब ये कट्टर दुश्मन बन गए हैं. वर्तमान में दोनों देशों के बीच एक भीषण  युद्ध का खतरा मंडरा रहा है, और यह स्थिति पूरे मध्य पूर्व में स्थिरता को और अधिक खतरे में डाल सकती है.

Iran-Israel War: ईरान और इजरायल के बीच तनाव इस समय चरम पर है. हाल ही में ईरान ने इजरायल पर करीब 200 मिसाइलें दागी हैं, जिनमें हाइपरसोनिक हथियार भी शामिल हैं. इस हमले के बाद इजरायल ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है. दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को वैश्विक स्तर पर भी गंभीरता से देखा जा रहा है. लेकिन क्या आपको पता है कि यह स्थिति हमेशा ऐसी नहीं थी? एक समय था जब इजरायल और ईरान एक दूसरे के जिगरी दोस्त हुआ करते थे.

ईरान-इजरायल के घनिष्ठ संबंध
मौजूदा समय में शायद आपको सुनने में ये अजीब लगेगा, लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि इजरायल और ईरान के बीच एक सामय गहरा संबंध हुआ करता था. 1979 की ईरानी क्रांति से पहले, ईरान के शाह मोहम्मद रजा पहलवी ने इजरायल को एक मित्र के रूप में स्वीकार किया था.तुर्की के बाद ईरान ही एक ऐसा इस्लामिक देश था जिसने इजरायल को एक देश के रूप मे मान्यता दी थी. शाह ने इजरायल को 1950 में एक संप्रभु राज्य के रूप में मान्यता दी थी. जबकि अधिकांश अरब देश उसकी संप्रभुता को मान्यता देने से इनकार कर रहे थे. उस समय ईरान ने इजरायल का समर्थन किया और दोनों देशों के बीच आर्थिक और सैन्य सहयोग भी विकसित हुआ.

1960 के दशक में, इजरायल  और ईरान ने इराक को अपना साझा दुश्मन माना था. इस दौरान इजरायल अन्य अरब देशों के साथ जंग में उलझा हुआ था, वहीं ईरान ने इराक के नेतृत्व को अपनी सुरक्षा के लिए एक बड़े खतरे कि तरह देख रही थी. जिसके बाद दोनों देशों ने एक खुफिया मिशन कि शुरुआत किया. जिसमें इजरायल  की खुफिया एजेंसी मोसाद और ईरान की गुप्त पुलिस सावक (SAVAK) शामिल थीं. दोनों ने मिलकर इराकी सरकार के खिलाफ कुर्द विद्रोहियों को मजबूत करने में मदद की.आपको बता दें  ये कुर्द विद्रोही  इराक की अरब सरकार के लिए एक बहुत बड़ी कमजोरी माने जाते थे.

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दोस्ती से दुश्मनी की ओर
समय के साथ-साथ दोनों देशों के बीच कई अहम क्षेत्र में व्यापक कारोबार हो रहे थे.लेकिन 1979 कि क्रांति ने सबकुछ बदल दिया. इस क्रांति के तुरंत बाद, ईरान ने इजरायल को एक कट्टर दुश्मन के रूप में देखने लगा.इस क्रांति के बाद ईरान में एक नई सत्ता व्यवस्था कायम हुई जिसके बाद से वहां इजरायल का वर्चस्व खत्म हो गया. इसके बाद से, ईरान ने फिलिस्तीनियों के समर्थन में एक स्पष्ट रुख अपनाया.

बता दें अब ईरान और इजरायल एक दूसरे के अस्तित्व के लिए खतरा बन गए हैं. ईरान, लगातार क्षेत्रीय प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है जहां वो इजरायल को अपने लिए एक बड़ा खतरा मानता है. इसके विपरीत, इजरायल ने भी ईरान को अपने लिए एक प्राथमिक खतरा मानता है. हाल के घटनाक्रमों में, इजरायल ने गाजा में हमास, लेबनान में हिजबुल्ला, और यमन में हुतियों  के खिलाफ कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ रहा है. आपको बता दें कि इन सभी संगठनों को ईरान का समर्थन प्राप्त है.
ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव ने वैश्विक चिंता बढ़ा दी है. संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों ने शांति की अपील की है, लेकिन दोनों देशों के बीच लगातार हालात तनावपूर्ण बनते जा रहे हैं. जैसे-जैसे दोनों देशों के बीच संघर्ष गहराता जा रहा है, वैश्विक शक्ति संतुलन पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है.

ईरान और इजरायल के संबंधों का इतिहास जटिल रहा है. एक समय में, ये दोनों देश एक-दूसरे के जिगरी दोस्त थे, लेकिन अब ये कट्टर दुश्मन बन गए हैं. वर्तमान में, दोनों देशों के बीच एक भीषण  युद्ध का खतरा मंडरा रहा है, और यह स्थिति पूरे मध्य पूर्व में स्थिरता को और अधिक खतरे में डाल सकती है.

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