भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर आज पाकिस्तान के दो दिवसीय दौरे पर रवाना हो रहे हैं. इस यात्रा का उद्देश्य इस्लामाबाद में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की समिट में शामिल होना है. इस समिट की मेजबानी पाकिस्तान कर रहा है, और इसमें भारत समेत आठ देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. पाकिस्तान ने अगस्त में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस समिट में भाग लेने का निमंत्रण भेजा था, जिसके बाद भारत की ओर से प्रधानमंत्री की जगह विदेश मंत्री जयशंकर को भेजने का निर्णय लिया गया. बता दें विदेश मंत्री का यह दौरा करीब 24 घंटे से भी कम समय का होगा, जिसमें वे कई महत्वपूर्ण बैठकों में हिस्सा लेंगे.
भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंध
जयशंकर का यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब भारत और पाकिस्तान के संबंध उतने अच्छे नहीं है. 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों में खटास आ गई है. पुलवामा हमले और उसके बाद की बालाकोट एयरस्ट्राइक ने भी इन संबंधों में गंभीर तनाव पैदा किया था. हालांकि, पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो पिछले साल भारत आए थे, जब गोवा में SCO विदेश मंत्रियों की बैठक आयोजित की गई थी. इसके बावजूद दोनों देशों के बीच कोई द्विपक्षीय बातचीत अब तक नहीं हुई है और इस दौरे के दौरान भी ऐसी कोई योजना नहीं है.
एस. जयशंकर की दो टूक
आपको बता दें कि इस दौरे को लेकर जब विदेश मंत्री एस जयशंकर से पूछा गया था तो उन्होंने बताया था कि मैं पाकिस्तान एक अच्छे SCO सदस्य होने के नाते से जा रहा हूं. उन्होंने आगे बताया कि मैं वहां भारत और पाकिस्तान के साथ किसी भी द्विपक्षीय वार्ता के लिए नहीं जा रहा हूं.
SCO का महत्व और भारत की भूमिका
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का गठन 2001 में हुआ था और इसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. इसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है. SCO आतंकवाद, उग्रवाद, और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभाता है और सदस्य देशों के बीच कनेक्टिविटी और व्यापार को बढ़ाने पर ध्यान देता है.
नौ साल में पहली बार भारतीय विदेश मंत्री का पाकिस्तान दौरा
यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले नौ साल में यह पहला मौका है जब किसी भारतीय विदेश मंत्री ने पाकिस्तान की यात्रा की है. इससे पहले 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज एक कॉन्फ्रेंस में शामिल होने इस्लामाबाद गई थीं. इसके अलावा, 2015 में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक सरप्राइज दौरे पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात की थी.
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नवाज शरीफ की अपील
पाकिस्तान में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन से पहले नवाज शरीफ ने भारत के साथ बेहतर रिश्तों की बात करते हुए एक बार फिर सहयोग का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि काश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस सम्मेलन में पाकिस्तान आते. 15-16 अक्टूबर को होने वाले इस सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल पहले ही पहुंच चुका है. नवाज शरीफ ने एक इंटरव्यू में कहा, 'मैं हमेशा से भारत-पाकिस्तान के बीच अच्छे संबंधों का पक्षधर रहा हूं और उम्मीद है कि दोनों देशों के रिश्तों को फिर से सुधारने का मौका मिलेगा. मोदी जी का यहां आना अच्छा होता और उम्मीद करता हूं कि जल्द ही हमारे पास एक साथ बैठकर चर्चा करने का अवसर होगा.' हालांकि,विदेश मामलों के जानकारों का मानना है कि इस बार के दौरे से दोनों देशों के रिश्तों में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिलेगा, क्योंकि अभी तक किसी द्विपक्षीय बैठक की योजना नहीं है. फिर भी, SCO जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण मौका होगा.
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
समिट के दौरान इस्लामाबाद में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. पूरे शहर में लॉकडाउन लगाया गया है और तीन दिन की छुट्टी की घोषणा भी की गई है. रूस, चीन समेत अन्य SCO सदस्य देशों के प्रतिनिधि भी इस समिट में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद पहुंचेंगे. जयशंकर का यह दौरा इस बात की तरफ इशारा करता है कि भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है, चाहे द्विपक्षीय संबंध कितने भी जटिल क्यों न हों.
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